कम्बख्त राजनीति: 2015 में "नीतीश के डीएनए में धोखा और अहंकार" बताने वाले सुशिल मोदी, आज उसी धोखेबाज के हैं डिप्टी सीएम!
BY Jan Shakti Bureau28 July 2017 7:14 PM IST

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Jan Shakti Bureau28 July 2017 7:14 PM IST
राजनीती के किसी चाणक्य ने कहा है कि "नगरवधु" (वेश्या) का भी एक चरित्र होता है, पर राजनीती नगरवधु के धंधे से गिरा हुआ पेशा. इस कथन चरिर्तार्थ किया बिहार के भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने. शक्ति परीक्षण के बाद बहले ही नीतीश कुमार- सुशील कुमार मोदी अपनी पीठ थपथा रहे हों, लेकिन इस पुरे प्रकरण में बिहार कि जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है.
आप को बता दें कि यह वही सुशिल मोदी हैं जिन्हों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के डीएनए में गड़बड़ी का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद नीतीश के 'राजनीतिक डीएनए' में धोखा, अहंकार और तिरस्कार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह खुद को बिहार का पर्याय बताकर लोगों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश में लगे हैं। सुशील ने रविवार 27 जुलाई 2015 को कहा कि लोगों का 'डीएनए' तो विश्वास, सदभाव और अतिथि सत्कार का है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 'राजनीतिक डीएनए' धोखे, तिरस्कार और अहंकार से बना है। उन्होंने समाजावादी नेता राममनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद से लेकर भाजपा और महादलित नेता जीतनराम मांझी तक को धोखा दिया।
सुशिल मोदी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस की संगत का असर है कि नीतीश कुमार खुद को बिहार का पर्याय बताकर 11 करोड़ बिहारियों का अपमान कर रहे हैं। आपातकाल में इंदिरा गांधी भी स्वयं को भारत समझने लगी थी। इसका अंजाम उन्हें भुगतना पड़ा। नीतीश कुमार को भी जल्द ही जनता सबक सिखायेंगी। सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि बिहार के लोग तो खुद आधा पेट खाकर भी अतिथि को भरपेट भोजन कराते हैं। अतिथि सत्कार बिहार का डीएनए है लेकिन नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को दावत (वर्ष 2010 में पटना में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समय) देने के बाद सामने से थाली खींचकर साबित कर दिया कि उनका डीएनए अलग है।
मोदी ने आरोप लगाया था नीतीश कुमार ने 1994 में राजद प्रमुख लालू प्रसाद को धोखा दिया। भाजपा ने 17 साल में उन्हें दो बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री बनाया। इसके बावजूद उन्होंने नरेंद्र मोदी के बहाने गठबंधन तोड़कर भाजपा को धोखा दिया। सुशील ने आरोप लगाया कि वर्ष 2010 में लालू प्रसाद और कांगेस के 'जंगलराज' के विरुद्ध जनादेश मिला था। नीतीश कुमार जनता को धोखा देकर उसी लालू प्रसाद के गोद पर गिर गए, जिनके खिलाफ वोट मांगकर सत्ता में आये थे। विश्वासघात का यह डीएनए नीतीश कुमार है, बिहार की जनता का नहीं।
सुशिल मोदी ने यह भी आरोप लगाया था कि वर्ष 2014 में नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को धोखा देकर उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली और महादलित नेता का अपमान किया। जॉर्ज फर्नांडीज के आशीर्वाद से नीतीश कुमार ने राजनीतिक उंचाई पाई। उनको भी धोखा दिया। लालू प्रसाद के साथ वह कब तक रहेंगे, इसका स्वयं उन्हें भी पता नहीं है। सुशील ने आगामी सितंबर-अक्तूबर में संभावित बिहार विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए नीतीश को धोखा, तिरस्कार और अहंकार की राजनीति का 'कालिया नाग' बताया और दावा किया कि उनका अंत होने में अब केवल तीन माह दूर है।
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