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BIG STORY: मक्का मस्जिद बम विस्फोट के आरोपियों को बरी करने वाले जज ने दिया इस्तीफा, बताये ये कारण

BIG STORY: मक्का मस्जिद बम विस्फोट के आरोपियों को बरी करने वाले जज ने दिया इस्तीफा, बताये ये कारण
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सोमवार को 2007 के मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को बरी करने के तुरंत बाद ही फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश रविंदर रेड्डी ने इस्तीफा दे दिया। हैदराबाद के मक्का मस्जिद बम धमाके की सुनवाई एनआईए की विशेष अदालत कर रही थी जिसमें मुख्य आरोपी असीमानंद सहित सभी आरोपी आरएसएस समर्थित अभिनव भारत के सदस्य हैं।जानकारी के मुताबिक एनआईए विशेष अदालत के न्यायाधीश रविंदर रेड्डी ने मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं।


बताया जा रहा है अपनी इस्तीफे में निजी कारण का हवाला दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके इस्तीफे का संबंध मक्का मस्जिद बम विस्फोट पर दिये फैसले से नहीं है। जानकारी के अनुसार न्यायाधीश का कहना है कि वह काफी समय से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे थे।बता दें कि, इस्तीफा देने से पहले न्यायाधीश रविंदर रेड्डी ने हैदराबाद मक्का मस्जिद बम विस्फोट में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने एनआईए जांच टीम की ओर से सबूतों के अभाव में अपना फैसला सुनाया। हालांकि, इस अचानक फैसले से काफी लोग हैरान भी हुए है। फिलहाल एनआईए अब आर्डर की काॅपी मिलने के बाद अपनी अगली तैयारी करने की बात कर रही है। बता दें कि, इस मामले में एनआईए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है।


क्या है मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामला

दरअसल, मई 2007 में हैदराबाद की मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज़ के दौरान एक भीषण बम विस्फोट हुआ था। जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज़्यादा घायल हो गये थे। पुलिस की शुरूआती जांच के बाद केस सीबीआई को दे दिया गया था। सीबीआई ने मामले की सुनवाई के दौरान 160 गवाहों के बयान दर्ज कराये थे। इसके बाद सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन साल 2011 में यह मामला सीबीआई से लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई थी।


साल 2011 से 160 गवाहों में करीब 54 गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। अदालत के फैसले के बाद एआईएमआईएम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार आरोप लगाते हुए कहा कि साल 2014 के बाद सब से ज्यादा गवाह मुकर गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जांच एजेंसी को ईमानदारी से काम नहीं करने दिया।

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