BIG BREAKING: राहुल गांधी से बात कर अहमद पटेल से मिले शरद यादव, इस दिन करने वाले हैं ये बड़ा दावा!
BY Jan Shakti Bureau15 Aug 2017 2:20 PM GMT
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Jan Shakti Bureau15 Aug 2017 2:20 PM GMT
नई दिल्ली। जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव पूरी तरह से बग़ावत के मूड में हैं। जेडीयू से पूर्व मंत्री सहित 21नेताओं के पार्टी से निकाले जाने के बाद अब उनके और नीतीश कुमार के बीच समझौते के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। नाराज़गी इस बात को लेकर ज़्यादा है कि महागठबंधन की आराम से चल रही सरकार से जिस तरह से उन्हें अंधेरे में रखकर नीतीश कुमार ने बीजेपी से हाथ मिला लिया वो उन्हें गंवारा नहीं है। ये भी पढ़े- 2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के सामने ये है सबसे बड़ी चुनौती 21 नेताओं के पार्टी से निकाले जाने के बाद अब शरद यादव ने अपने अगले कदम के लिए विपक्ष के नेताओं से सलाह मशवरा कर रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को उनसे टेलीफोन पर बात की। इसके बाद अहमद पटेल ने उनसे मुलाक़ात की।अब जबकि नीतीश ने यादव के 21 सहयोगियों पर कार्यवाही कर दी है तो अब साफ़ है कि शरद यादव को या तो पार्टी से निकाला जाएगा या वो इस्तीफ़ा देंगे| हालाँकि यादव चाहते हैं कि उनको निकाला जाए जबकि पार्टी चाहती है वो इस्तीफ़ा दें।
शरद यादव करेंगे ये दावा
बहुत पहले ही किसी ने कह दिया था कि शरद यादव इतनी आसानी ने ना तो जेडीयू को छोड़ेंगे और ना ही पार्टी को उनसे पिंड छुड़ाने देंगे। जहां एक ओर नीतीश कुमार का खेमा शरद यादव के बगावती तेवरों को लेकर उन पर कार्रवाई के मूड में है। वहीं दूसरी ओर शरद ने पार्टी को तोड़ने की ही रणनीति तैयार कर ली है। शरद अब अपने धड़े को मजबूत कर जेडीयू को असली पार्टी के तौर पर दिखाने की कोशिश करेंगे।वहीं ये भी दिखाया जाएगा कि पार्टी के भीतर नीतीश कुमार के पास समर्थन कम है। यानी अब जेडीयू के भीतर जंग असली और नकली की शुरु होने वाली है। शरद यादव के खेमे का दावा है कि उनके साथ इस वक्त 14 राज्यों की ईकाईयां हैं। जबकि नीतीश के साथ सिर्फ बिहार ईकाई है। शरद यादव के करीबी नेताओं का दावा है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के समर्थन में देश की 14 राज्यों की ईकाईयों के अध्यक्ष उनके समर्थन में हैं।
इसके अलावा उन्हें राज्यसभा के दो सांसदों का भी समर्थन हासिल है। कुछ और पदाधिकारी भी शरद के समर्थन में खड़े हुए हैं। जाहिर है ऐसे में शरद यादव पार्टी में बगावत कराकर उसे तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं। अभी हाल ही में नीतीश कुमार ने शरद को जेडीयू के महासचिव पद से हटा दिया था। शरद के खेमे वाले नेताओं का कहना है कि उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। जबकि नीतीश कुमार सिर्फ बिहार तक ही सिमटे हुए हैं। इस फूट और जेडीयू में सुलगती आग को हवा देने के लिए पार्टी के इतिहास के पन्नों को भी खंगाला जा रहा है। इसमें उस वक्त का भी हवाला दिया जा रहा है कि जब समता पार्टी का जेडीयू में विलय हुआ था। उस वक्त शरद यादव पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे। शरद खेमे के लोगों का कहना है कि शरद बाबू पार्टी नहीं छोड़ेंगे। ये पार्टी उनकी है। इन नेताओं का कहना है कि अगर नीतीश कुमार को लगता है कि जेडीयू का अस्तित्व बिहार के बाहर नहीं है तो फिर उन्हें राज्य के लिए एक नई पार्टी का गठन करना चाहिए। उन्हें जनता दल यूनाइटेड पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
शरद यादव और जेडीयू की पहचान हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर रही है। यानी इस विवाद को अब राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर भी दिखाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही शक्ति प्रदर्शन का भी खेल जारी है।नई दिल्ली। जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव पूरी तरह से बग़ावत के मूड में हैं। जेडीयू से पूर्व मंत्री सहित 21नेताओं के पार्टी से निकाले जाने के बाद अब उनके और नीतीश कुमार के बीच समझौते के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। नाराज़गी इस बात को लेकर ज़्यादा है कि महागठबंधन की आराम से चल रही सरकार से जिस तरह से उन्हें अंधेरे में रखकर नीतीश कुमार ने बीजेपी से हाथ मिला लिया वो उन्हें गंवारा नहीं है। 21 नेताओं के पार्टी से निकाले जाने के बाद अब शरद यादव ने अपने अगले कदम के लिए विपक्ष के नेताओं से सलाह मशवरा कर रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को उनसे टेलीफोन पर बात की। इसके बाद अहमद पटेल ने उनसे मुलाक़ात की। अब जबकि नीतीश ने यादव के 21 सहयोगियों पर कार्यवाही कर दी है तो अब साफ़ है कि शरद यादव को या तो पार्टी से निकाला जाएगा या वो इस्तीफ़ा देंगे| हालाँकि यादव चाहते हैं कि उनको निकाला जाए जबकि पार्टी चाहती है वो इस्तीफ़ा दें।
शरद यादव करेंगे ये दावा
बहुत पहले ही किसी ने कह दिया था कि शरद यादव इतनी आसानी ने ना तो जेडीयू को छोड़ेंगे और ना ही पार्टी को उनसे पिंड छुड़ाने देंगे। जहां एक ओर नीतीश कुमार का खेमा शरद यादव के बगावती तेवरों को लेकर उन पर कार्रवाई के मूड में है। वहीं दूसरी ओर शरद ने पार्टी को तोड़ने की ही रणनीति तैयार कर ली है। शरद अब अपने धड़े को मजबूत कर जेडीयू को असली पार्टी के तौर पर दिखाने की कोशिश करेंगे। वहीं ये भी दिखाया जाएगा कि पार्टी के भीतर नीतीश कुमार के पास समर्थन कम है। यानी अब जेडीयू के भीतर जंग असली और नकली की शुरु होने वाली है। शरद यादव के खेमे का दावा है कि उनके साथ इस वक्त 14 राज्यों की ईकाईयां हैं। जबकि नीतीश के साथ सिर्फ बिहार ईकाई है। शरद यादव के करीबी नेताओं का दावा है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के समर्थन में देश की 14 राज्यों की ईकाईयों के अध्यक्ष उनके समर्थन में हैं। इसके अलावा उन्हें राज्यसभा के दो सांसदों का भी समर्थन हासिल है। कुछ और पदाधिकारी भी शरद के समर्थन में खड़े हुए हैं।
जाहिर है ऐसे में शरद यादव पार्टी में बगावत कराकर उसे तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं। अभी हाल ही में नीतीश कुमार ने शरद को जेडीयू के महासचिव पद से हटा दिया था। शरद के खेमे वाले नेताओं का कहना है कि उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। जबकि नीतीश कुमार सिर्फ बिहार तक ही सिमटे हुए हैं। इस फूट और जेडीयू में सुलगती आग को हवा देने के लिए पार्टी के इतिहास के पन्नों को भी खंगाला जा रहा है। इसमें उस वक्त का भी हवाला दिया जा रहा है कि जब समता पार्टी का जेडीयू में विलय हुआ था। उस वक्त शरद यादव पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे। शरद खेमे के लोगों का कहना है कि शरद बाबू पार्टी नहीं छोड़ेंगे। ये पार्टी उनकी है। इन नेताओं का कहना है कि अगर नीतीश कुमार को लगता है कि जेडीयू का अस्तित्व बिहार के बाहर नहीं है तो फिर उन्हें राज्य के लिए एक नई पार्टी का गठन करना चाहिए। उन्हें जनता दल यूनाइटेड पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। शरद यादव और जेडीयू की पहचान हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर रही है। यानी इस विवाद को अब राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर भी दिखाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही शक्ति प्रदर्शन का भी खेल जारी है।
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