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BREAKING: विपक्ष के सामने घुटने टेके नितीश ने, सृजन घोटाला की CBI जांच की दी मंज़ूरी!

BREAKING: विपक्ष के सामने घुटने टेके नितीश ने, सृजन घोटाला की CBI जांच की दी मंज़ूरी!
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पटना। सृजन घोटाले की सीबीआइ जांच होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को इस घोटाले की जांच की समीक्षा के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत इस संबंध में कागजी कार्रवाई पूरी कर केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजने का निर्देश दिया। भागलपुर में गैर सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति, बैंक अधिकारी, कोषागार और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत से सरकारी योजनाओं के 1000 करोड़ से अधिक रुपये का घोटाला किया। इस घोटाले को लेकर राजद समेत समूचा विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा था। चारा घोटाले की तरह इसकी सीबीआइ जांच की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को देर शाम मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृह विभाग के प्रधान सचिव अमीर सुबहानी और डीजीपी पीके ठाकुर के साथ बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को अधिकारियों को गृह मंत्रालय को सीबीआइ जांच शुरू करने का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया।


फिलहाल ईओयू कर रही जांच

सृजन घोटाले की जांच फिलहाल आर्थिक अपराध इकाई कर रही है। सरकार ने माना है कि घोटाले का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। बैंक, निजी संस्थाएं और सरकारी विभाग इसमें संलिप्त पाए गए हैं। घोटालेबाजों का दायरा पूरे देश में फैला है। उसकी जांच में बड़े स्तर पर तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत है। दर्ज कांड का पूरा ब्योरा भी सीबीआइ सौंपा जाएगा।


नौ केस दर्ज हुए हैं

सृजन घोटाले में अब तक अलग-अलग नौ मामले दर्ज हुए हैैं। आर्थिक अपराध इकाई ने इस कांड में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस कांड के किंग पिन और गैर सरकारी संगठन सृजन की संस्थापिका मनोरमा देवी के पुत्र अमित कुमार और बहू प्रिया कुमार की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। इनके खिलाफ लूकआउट नोटिस जारी किया गया है।


क्या है मामला

भागलपुर में सरकारी खजाने से करोड़ों की हेराफेरी का मामला 8 अगस्त को खुला। जांच शुरू हुई तो पता चला कि सैकड़ों करोड़ का मामला है। जिले के तीन सरकारी बैंक खातों में सरकार फंड भेजती थी। डीएम ऑफिस, बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर नामक गैर सरकारी संगठन के छह बैंक खातों में उस राशि को ट्रांसफर कर दिया जाता था। यह समिति को-ऑपरेटिव बैंक की तरह काम करती थी। समिति से जुड़े लोग उस पैसे को जमीन खरीद, रियल इस्टेट के अलावा अन्य निजी कार्यों में खर्च करते थे। भागलपुर के बड़े-बड़े लोग इस खेल में शामिल हैं। जांच में पता चला है कि 2002 से यह खेल चल रहा था। भू अर्जन विभाग का फंड सबसे अधिक गायब है। अब तक लगभग 1000 करोड़ से अधिक की हेराफेरी के कागजात मिले हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे बड़ा घोटाला मानते हुए पूरे बिहार में इसके फैले होने की आशंका जताई और ईओयू को जांच का आदेश दिया था। अब सीबीआइ जांच कराई जाएगी।

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