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BREAKING: वैंकैया नायडू बन गए देश के 15वें उपराष्ट्रपति, देखिए कितना मिला वोट

BREAKING: वैंकैया नायडू बन गए देश के 15वें उपराष्ट्रपति, देखिए कितना मिला वोट
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नई दिल्ली ।। वैंकेया नायडू देश के 15वें उप राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। 785 में कुल 771 वोट पड़े, इसमें 11 वोट अवैध घोषित किये गये हैं। इसमें 516 वोट वेंकैया नायडू को मिला, गोपाल कृष्ण को 244 वोट मिले। आरंभिक जानकारी के अनुसार, वेंकैया को 22 व गोपालकृष्ण गांधी को 17 वोट हासिल हुए हैं। सत्ताधारी भाजपा के सांसद व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल एवं संवर लाल जाट वोट नहीं दे सके। इनसे पहले हामिद अंसारी लगातार दो बार उपराष्ट्रपति रहे थे। यह पहली बार है जब भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर संघ से जुड़े व्यक्ति आसीन हैं।


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संघ से काफी पुराना नाता है और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी छात्र जीवन में संघ से जुड़ गए थे। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं। गौरतलब है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में कहा था, 'आजाद भारत के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब भारत के सभी सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर एक ही विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति आसीन हैं।' उपराष्ट्रपति नायडू छात्र जीवन के समय 70 के दशक में आरएसएस से जुड़े थे। इस दौरान उनकी पहचान बतौर आंदोलनकारी छात्र के रूप में हो गयी थी।


वेंकैया ने 1972 में जय आंध्र आंदोलन में भाग लिया था। इसके बाद 1973 से 74 तक आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे थे। बता दें कि नायडू बतौर स्वंय सेवक दूसरे उपराष्ट्रपति हैं। उनसे पहले भैरोसिंह शेखावत 2002 से 2007 तक उपराष्ट्रपति के पद पर रहे थे। भारत के मौजूद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी स्वयं सेवक रह चुके हैं। जब केंद्र में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई सरकार बनी तो कोविंद पीएम के निजी सचिव बने। दिल्ली प्रवास के दौरान ही 1990 के दशक में उनकी मुलाकात जन संघ के नेता हुकुम चंद से हुई थी।


हुकुम चंद उज्जैन के रहने वाले थे और उनकी वजह से कोविंद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी से जुड़ गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बचपन से ही संघ की तरफ झुकाव था। मोदी 1967 में अहमदाबाद पहुंचे और इसी समय 17 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। इसके बाद 1974 में मोदी नव निर्माण आंदोलन में शामिल हो गए। इस तरह मोदी राजनीति में आने से पहले कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे।

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