योगिराज: कर्ज के बोझ तले दबे किसान ने की आत्महत्या, किसान पूछ रहे कब होगी कर्जमाफी?
BY Jan Shakti Bureau2 Jun 2017 5:57 AM GMT
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Jan Shakti Bureau2 Jun 2017 5:57 AM GMT
कानपुर: किसान कर्जमाफी के नाम पर चुनी गई उत्तर प्रदेश ककी भाजपा सरकार में किसान आत्महत्या करने को विवश हैं, मुख्यमंत्री ने कर्जमाफी का कागज़ी एलान तो कर दिया, पर जमीनी स्तर पर किसानों तक कोई राहत नहीं पहुंची। उनके पास पहुंच रही है वो है बैंकों की नोटिस! जिसके चलते किसान काफी परेशान हैं। ताज़ा मामला सजेंडी थानाक्षेत्र का है जहाँ गुरुवार को के एक किसान ने बैंक से नोटिस मिलने के बाद पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली।
सचेंडी थाना क्षेत्र के बरईपुर गांव के रहने वाले किसान राजेंद्र कुमार ने करीब चार साल पहले सहकारी बैंक से 80 हजार का कर्जा लिया था। राजेंद्र ने सोचा था कि इस पैसे से अच्छी खेती करके बैंक का कर्ज चुका देगा और घर की माली हालत भी ठीक हो जायेगी। लेकिन कुदरत का ऐसा कहर बरपा की सूखा पड़ गया, जिससे उसकी फसल बर्बाद हो गयी। फसल बर्बाद होने से राजेंद्र की माली हालत और खराब हो गयी। बैंक अपना पैसा पाने के लिये उसको नोटिस देने लगा। अस्सी हजार का बैंक कर्ज धीरे-धीरे बढ़कर एक लाख नब्बे हजार हो गया। सीएम के ऐलान के बाद किसानों को राहत की खबर मिली, लेकिन चार दिन पहले बैंक के कर्मचारी उसके घर पहुंचे और कर्ज तत्काल जमा करने का नोटिस थमा कर चले गए।
राजेंद्र के छोटे भाई प्रेम शंकर ने बताया कि जिला सहकारी बैंक से अस्सी हजार कर्ज लिया था। चार दिन पहले बैंक के कर्मचारी नोटिस लेकर आए और कर्ज तत्काल जमा करने की बात कही, न जमा करने पर जेल में भेजने की धमकी देते हुए वो चले गए। इसी के बाद से राजेंद्र परेशान रहने लगा। आज सुबह बच्चों से मिलकर खेत पर चला गया और बबूल के पेड़ से लटककर अपनी जान दे दी। राजेंद्र के छोटे भाई का कहना है की सूखे की वजह से परिवार दयनीय स्थिति में था। जब बैंक से नोटिस आया तो उसको कोई रास्ता नहीं दिखा और उसने यह रास्ता चुन लिया। प्रेम शंकर ने कहा कि पहले पीएम ने अन्नदाताओं को छला अब सीएम योगी भी कर्जमाफी के नाम पर सिर्फ वाह-वाही लूट रहे हैं।
राजेंद्र का बड़ा बेटा अरविन्द सूरत में मजदूरी करता है। पिता की मौत की खबर पर वह पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा। अरविन्द ने बताया कि बैंक से कर्जा लिया था लेकिन सूखे की वजह से खेतों में कुछ पैदावार नहीं हुई। अरविन्द ने कहा कि गरीबी और मजबूरी थी ऊपर से कर्ज था जिसकी वजह से पिता ने यह कदम उठाया। अरविन्द ने कहा कि किसानों को भरोसा था कि नरेंद्र मोदी पीएम बनेंगे तो उनका भी विकास करेंगे, लेकिन तीन साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने पूंजीपतियों के लिए तो खूब किया पर किसानों की सुध नहीं ली। जबकि किसानों ने मतदान कर उन्हें पीएम तो उन्हीं के कहने पर सूबे में कमल खिलाया। अरविन्द ने सीएम योगी के कर्जमाफी के दावे झूठे हैं। आज भी बैंक के अफसर किसानों के घरों पर आकर नोटिस थमा रहे हैं।
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