सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35ए पर सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टली
BY Jan Shakti Bureau31 Aug 2018 12:36 PM IST
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Jan Shakti Bureau31 Aug 2018 6:15 PM IST
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले आर्टिकल 35ए की वैद्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर अहम सुनवाई टल गई है. कोर्ट ने कहा है कि अब 35ए पर अगले साल 19 जनवरी को सुनवाई होगी. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट सुनवाई टालने की मांग की थी. केंद्र ने कहा था कि दिसंबर में पंचायत चुनाव के बाद सुनवाई की जाए. पंचायत चुनाव का सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर सुनवाई टालने की मांग की थी.
जम्मू-कश्मीर की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां स्थानीय चुनावों की तैयारियों में तैनात हैं. वहीं केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि स्थानीय चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने दिए जाएं.
Supreme Court has deferred hearing on Article 35A, next hearing on 19 January, 2019: Supreme Court Advocate Varun Kumar pic.twitter.com/OwSKA4JOJP
— ANI (@ANI) August 31, 2018
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर नई याचिका पर सुनवाई टाल दी है. वहीं जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनाव को देखते हुए सुनवाई स्थगित की जाने की मांग की गई. इस बारे में राज्य सरकार के वकील एम शोएब आलम ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी. खत में कहा गया कि राज्य सरकार आगामी पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय और निगम चुनावों की तैयारी को देखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित रखे. गुरुवार को इसी मुद्दे पर अलगावादियों ने घाटी बंद का ऐलान किया था. स्कूल-कॉलेज और दुकानें बंद रही. बंद की वजह से सड़कों पर वाहन नहीं दिखे. शुक्रवार को भी घाटी में हड़ताल है.
Hearing on #Article 35A:ASG Tushar Mehta representing J&K submitted before SC, "All the security agencies are engaged in the preparation of the local body elections in the state." AG KK Venugopal appearing for Centre told SC,"Let local body elections finish in a peaceful manner."
— ANI (@ANI) August 31, 2018
कोर्ट में होने वाली अहम सुनवाई को देखते हुए आज कश्मीर में कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है. बता दें कि सुनवाई से पूर्व ही घाटी का माहौल अशांत हो गया है. बीते दिनों घाटी में 35 A को लेकर अफवाह उड़ने से कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे. इधर इस मामले में बीते 6 अगस्त को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए 27 अगस्त का दिन तय किया था, लेकिन याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित कर दी गई और आज दोबारा सुनवाई की तारीख दी गई थी.
#TopStory: Supreme Court to hear a batch of petitions challenging the constitutional validity of Article 35A, that grants special privileges to the residents of the state of Jammu and Kashmir pic.twitter.com/BfyXUBXNi7
— ANI (@ANI) August 31, 2018
1954 में लागू हुआ आर्टिकल 35ए क्या है?
अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर में रहने वाले नागरिकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं. साथ ही राज्य सरकार को भी यह अधिकार हासिल है कि आजादी के वक्त किसी शरणार्थी को वो सहूलियत दे या नहीं. वो किसे अपना स्थाई निवासी माने और किसे नहीं. दरअसल जम्मू-कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थाई निवासी मानती है जो 14 मई, 1954 के पहले कश्मीर आकर बसे थे. इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति राज्य में संपत्ति (जमीन) नहीं खरीद सकता है, न ही वो यहां बस सकता है. इसके अलावा यहां किसी भी बाहरी के सरकारी नौकरी करने पर मनाही है. और न ही वो राज्य में चलाए जा रहे सरकारी योजनाओं का फायदा ले सकता है. जम्मू-कश्मीर में रहने वाली लड़की यदि किसी बाहरी व्यक्ति से शादी करती है तो उसे राज्य की ओर से मिले विशेष अधिकार छीन लिए जाते हैं. इतना ही नहीं उसके बच्चे भी हक की लड़ाई नहीं लड़ सकते.
आर्टिकल 370 के तहत जोड़ा गया था आर्टिकल 35ए
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास अनुच्छेद 370 की वजह से डबल सिटिजनशिप (दोहरी नागरिकता) है. आर्टिकल 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में अलग झंडा और अलग संविधान चलता है. इसी से यहां विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है, जबकि देश भर के राज्यों में यह 5 साल होता है. आर्टिकल 370 की वजह से संसद के पास जम्मू-कश्मीर को लेकर कानून बनाने के अधिकार सीमित हैं. संसद में मंजूर कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते. मसलन यहां न तो शिक्षा का अधिकार, न सूचना का अधिकार, न न्यूनतम वेतन का कानून और न केंद्र का आरक्षण कानून लागू होता है.
आर्टिकल 35ए से कैसी अड़चन?
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की शादी राज्य से बाहर की महिला से हुई है, लेकिन उनके बच्चों को राज्य के मिलने वाले सारे अधिकार हासिल हैं. दूसरी तरफ, उनकी बहन सारा, जिन्होंने देश के अन्य राज्य के एक व्यक्ति (सचिन पायलट) से विवाह किया है, उनसे राज्य की ओर से मिले तमाम विशेष अधिकार ले लिए गए हैं.
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