धर्म परिवर्तन कर हिंदू लड़की से शादी करने वाले इब्राहिम सिद्दिकी को सुप्रीम कोर्ट से झटका
BY Jan Shakti Bureau28 Aug 2018 11:14 AM IST

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Jan Shakti Bureau28 Aug 2018 5:04 PM IST
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में इस्लाम धर्म छोड़कर 23 वर्षीय हिंदू लड़की से शादी करने के लिए हिंदू धर्म अपनाने वाले 33 वर्षीय इब्राहिम सिद्दिकी की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पेश हुई उसकी प्रेमिका अंजलि जैन ने कोर्ट को बताया कि शादी बहला-फुसला कर की गई थी और वो परिवार के साथ रहना चाहती है। दरअसल, इब्राहिम ने हिंदू धर्म अपना कर इसी साल फरवरी में अंजलि जैन नाम की लड़की से रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी। विवाह के बाद भी दोनों प्रेमी युगल के विवाह की जानकारी किसी को नहीं लगी वे सामान्य जीवन जी रहे थे।
लेकिन एक दिन उनकी पत्नी अंजलि अपने माता पिता से मिलने अपने घर गईं फिर वापस नहीं लौटीं। जब वो वापस नहीं लौटीं तो व्यक्ति ने अपनी पत्नी को उसके माता-पिता के कब्जे से आजाद कराने की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बिलासपुर हाई कोर्ट ने इब्राहिम की ओर से दायर की गयी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अपना फैसला दिया था। इस फैसले से असंतुष्ट इब्राहिम ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब मांगा था और पुलिस अधीक्षक को लडकी को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के धमतरी (जहां लड़की रहती है) के एसपी को आज कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अंजलि पेश हुईं, अंजलि ने अदालत में कहा कि इब्राहिम ने उनसे बहला-फुसला कर शादी की थी। अंजलि ने अदालत को यह भी बताया कि उसके माता पिता व परिजनों ने उसकी स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं लगाई है और ना ही उन्हें जोर जबरदस्ती अपने कब्जे में लिया है। अंजलि के बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इब्राहिम की याचिका खारिज कर दी। अंजलि के बयानों पर अदालत ने कहा, उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपने पति के साथ जाना नहीं जाना चाहती है और अपने माता-पिता के पास वापस जाना चाहती है। इसके मद्देनजर हम उसे अपने माता-पिता के पास वापस जाने की अनुमति देते हैं। साथ ही पीठ ने कहा, हम शादी पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। चूंकि वह बालिग है इसलिए उसे अपना फैसला करने का हक है कि वह कहां जाना चाहती है।
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