कर्नाटक: 21 नहीं 23 मई को सीएम पद की शपथ लेंगे कुमारस्वामी, क्यों अचानक बदल गई शपथग्रहण की तारीख? जानें शपथ से जुड़ीं कुछ बड़ी बातें
BY Jan Shakti Bureau20 May 2018 7:11 AM GMT
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Jan Shakti Bureau20 May 2018 12:50 PM GMT
कर्नाटक में महज ढाई दिन पुरानी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार शनिवार (19 मई) की शाम गिर गई। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विश्वास मत का सामना किए बगैर ही विधानसभा पटल पर अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। चेहरे पर हार के भाव के साथ येदियुरप्पा ने एक संक्षिप्त भावनात्मक भाषण के बाद विधानसभा के पटल पर अपने निर्णय की घोषणा की। अब जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी 23 मई को नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि येदियुरप्पा सरकार शनिवार शाम चार बजे राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल करें। हालांकि राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को अपना बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था।येदियुरप्पा ने कहा ,''मैं मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा देने जा रहा हूं। मैं राजभवन जाऊंगा और अपना इस्तीफा सौंप दूंगा।'' अपने भावनात्मक भाषण के बाद उन्होंने विधानसभा में कहा,''मैं विश्वास मत का सामना नहीं करूंगा। मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं।'' येदियुरप्पा ने कहा कि वह अब ''लोगों के पास जायेंगे।''
येदियुरप्पा के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद जद (एस)-कांग्रेस-बसपा गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एच डी कुमारस्वामी ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की और उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है। कुमारस्वामी ने शनिवार को पत्रकारों से कहा,''आज बीजेपी सरकार सदन में अपनी ताकत दिखाने में विफल रही। इस आधार पर राज्यपाल ने अगली सरकार बनाने के लिए मुझे आमंत्रित किया।'' जद (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के 58 वर्षीय बेटे ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है लेकिन उन्होंने कहा, '' हमें 15 दिनों की जरूरत नहीं है।'' कांग्रेस – जद (एस) गठबंधन ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 117 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। दो सीटों पर विभिन्न कारणों से मतदान नहीं हुआ था जबकि कुमारस्वामी दो सीटों से चुनाव जीत थे।
गत 15 मई को घोषित चुनाव परिणामों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई थी। बीजेपी हालांकि 104 सीटें प्राप्त करके सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन वह बहुमत से कुछ दूर रह गई थी। कांग्रेस 78 सीटों पर जीत दर्ज करके दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि जद (एस) को 37 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद कांग्रेस और जद (एस) ने गठबंधन कर लिया। येदियुरप्पा का सत्ता में रहने का यह सबसे कम समय था। वह 2007 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे उस समय केवल सात दिन ही मुख्यमंत्री रहे थे। वह दूसरी बार उस समय मुख्यमंत्री बने थे जब 2008 में कर्नाटक में बीजेपी ने पहली बार अपनी सरकार बनाई थी।
अचानक बदल गई शपथग्रहण की तारीख, जानें घटनाक्रम से जुड़ीं कुछ बड़ी बातें
येदियुरप्पा के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद जदएस-कांग्रेस-बसपा गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एच डी कुमारस्वामी ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की और उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 21 मई को शपथ ग्रहण करेगी। लेकिन अचानक इसके बाद उन्होंने कहा कि नयी सरकार अब 21 मई की बजाय 23 मई को शपथ लेगी। उन्होंने तारीख में परिवर्तन का कारण नहीं बताया है।हालांकि समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक जेडीएस के एक नेता ने कहा कि 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि होती है इसलिए शपथ ग्रहण की तारीख में परिवर्तन किया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कर्नाटक में तीन दिन पुरानी बीजेपी सरकार के नाटकीय घटनाक्रम में गिर जाने को ''क्षेत्रीय मोर्चे की जीत'' बताया। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख को नामित मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने फोन कर बुधवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया है। दरअसल ममता बनर्जी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए संघीय मोर्चा बनाने का विचार दिया है। कर्नाटक में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में ममता जद एस प्रमुख एच डी देवेगौड़ा, उनके बेटे कुमारस्वामी और अन्य प्रमुख नेताओं के संपर्क में रही हैं।
शक्ति परीक्षण का सामना किए बगैर येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद तृणमूल प्रमुख ने देवेगौड़ा, कुमारस्वामी और कांग्रेस को बधाई भी दी थी। बीजेपी द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच कांग्रेस अपने विधायकों को बेंगलुरू के बाहर एक रिजार्ट ले गई, जबकि जदएस के विधायक राज्य की राजधानी में एक होटल में रहे। इसके बाद उन्हें हैदराबाद के एक होटल ले जाया गया और कांग्रेस-जदएस की याचिका पर बहुमत साबित किये जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधायक वापस लौटे।
इस बीच कांग्रेस ने एक ऑडियो टेप जारी किया जिसमें मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा एक विधायक को कथित रूप से प्रलोभन देते हुए कहते सुने गये कि यदि वह विश्वास मत के दौरान भाजपा सरकार का समर्थन करते है तो उन्हें मंत्री पद दिया जाएगा। इस तरह के आरोप भी लगाये गये कि कांग्रेस विधायक आनंद सिंह को बीजेपी ने ''बंधक'' बना लिया लेकिन वह येदियुरप्पा के अपना भाषण शुरू करने से कुछ मिनट पहले विधानसभा पहुंच गए।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी जानती थी कि येदियुरप्पा जरूरी संख्या नहीं जुटा पाएंगे, और इन परिस्थितियों में वह विश्वात मत जीतने के प्रति लगातार निराश हो रही थी और कम से कम नैतिक स्तर पर खुद को बचाए रखना चाहती थी। सूत्रों के मुताबिक येदियुरप्पा के पास शनिवार सुबह ही यह संदेश पहुंचा। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है लाइव स्ट्रीमिंग, तभी विश्वास मत से ठीक पहले नाटकीय इस्तीफे और भाषण की तैयारी शुरू हो गई थी।
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