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दिल्ली में LG बनाम केजरीवाल: जानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 अहम बातें

दिल्ली में LG बनाम केजरीवाल: जानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 अहम बातें
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दिल्ली के एलजी और केजरीवाल सरकार के बीच अधिकारों की जंग को लेकर अरविंद केजरीवाल को बड़ी जीत मिली. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए तीनों ही जज ने एकमत से आदेश दिया कि एलजी हर मामले पर असहमति नहीं जता सकते. सभी मामलों में एलजी की सहमति जरूरी भी नहीं.


आईए जानते हैं फैसले की 10 अहम बातें.

1-एलजी को कैबिनेट की सलाह पर काम करना होगा. अगर वह किसी सलाह पर सहमत नहीं, तो फिर वह कारण बताते हुए इसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली में भूमि, पुलिस और लोक व्यवस्था का मामला एलजी के ही अधीन रहेगा.


2-चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. भूमि, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर के मामले ही केंद्र सरकार के अधिकारक्षेत्र में रहेंगे. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार को हर मामले में एलजी की इजाजत की जरूरत नहीं है. एलजी दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करें और उनके फैसलों का सम्मान करें.

3-चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, केंद्र और राज्य सरकार को आपस में सहयोग और बेहतर तालमेल वाले संबंधों का प्रदर्शन करना चाहिए. केंद्र सरकार को विधायिका के अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाले मामलों पर शक्तियों का उपयोग नहीं करना चाहिए. दोनों सरकारें मिलकर संवैधानिक संघवाद के अनुरूप काम करें.

4-सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कैबिनेट के सभी फैसलों से एलजी को निश्चित रूप से अवगत कराया जाना चाहिए लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें एलजी की सहमति जरूरी है. एलजी को स्वतंत्र होकर काम नहीं करना चाहिए और ना ही उन्हें कैबिनेट के फैसलों को रोकना चाहिए.

5-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी को स्वतंत्र अधिकार नहीं सौंपे गए हैं. एलजी सामान्य तौर पर नहीं, केवल अपवाद मामलों में मतभेद वाले मुद्दों को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं. एलजी को मतभेदों को विचार-विमर्श के साथ सुलझाने के लिए प्रयास करने चाहिए.

6-जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़़ ने अपने अलग लेकिन सम्मिलित फैसले में कहा कि एलजी को निश्चित रूप से यह महसूस होना चाहिए कि कैबिनेट जनता के प्रति जवाबदेह है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था सहित तीन मुद्दों को छोड़ कर दिल्ली सरकार के पास अन्य विषयों में शासन का अधिकार है.

7-सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से दिए गए फैसले में कहा कि असली ताकत कैबिनेट के पास है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एलजी को निश्चित रूप से यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि निर्णय वह नहीं बल्कि कैबिनेट लेगी.


8-सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने खुशी जाहिर की है. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, अब दिल्ली सरकार की तरफ से उनके सामने रखे गए हर मामले को खारिज नहीं कर पाएंगे. मुझे नहीं लगता कि केंद्र सरकार अब इतना नहीं गिरेगी कि हर मामले को राष्ट्रपति के पास भेजे.

9-केंद सरकार की दलील थी कि दिल्ली सरकार पूरी तरह से प्रशासनिक अधिकार नहीं रख सकती क्योंकि यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा. इसके साथ ही उसने 1989 की बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसने दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारणों पर विचार किया. केंद्र का तर्क था कि दिल्ली सरकार ने अनेक 'गैरकानूनी' अधिसूचनाएं जारी कीं और इन्हें हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.


10-केंद्र ने सुनवाई के दौरान संविधान, 1991 का दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार कानून और राष्टूीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कामकाज के नियमों का हवाला देकर यह बताने का प्रयास किया कि राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और एलजी को राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक मामले में प्राथमिकता प्राप्त है.

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