जामिया का अल्पसंख्यक दर्जा छीनने की कोशिश में मोदी सरकार, कोर्ट मे हलफनामा देने की तैयारी
BY Jan Shakti Bureau7 Aug 2017 6:47 AM GMT
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Jan Shakti Bureau7 Aug 2017 6:47 AM GMT
केंद्र सरकार की मोदी सरकार ने जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के अल्पसंख्यक दर्जा पर अदालत में अपने पहले स्टेंड को वापस लेने का फैसला किया है। अब मोदी सरकार कोर्ट में हलफनामा देगी कि जामिया मिलिया इस्लामिया एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय के पास लंबित याचिकाओं में एक नया हलफनामा दर्ज करेगा।
22 फरवरी, 2011 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा आयोग (एनसीएमआई) के आदेश का समर्थन किया गया था, जिसमें जेएमआई को एक धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थान घोषित किया गया था। यह अपनी कानूनी समझ में एक गलती थी। मंत्रालय न्यायालय को यह भी बताएगा कि जेएमआई का उद्देश्य कभी भी अल्पसंख्यक संस्था का नहीं था, क्योंकि इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था और इसे केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
पिछले साल जब स्मृति ईरानी एचआडी मिनिस्टर थीं तब अटॉर्नी जनरल ने अदालत में अपना विचार बदलने की सलाह दी थी कि जामिया मिलिया इस्लामिया एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।अजीज बाशा मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि एएमयू एक अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है क्योंकि यह ब्रिटिश विधायिका द्वारा स्थापित किया गया था, इसे मुस्लिम समुदाय ने स्थापित नहीं किया था।
जब स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थीं तब अटॉर्नी जनरल की सलाह को स्वीकार कर लिया गया। जामिया पर रिट याचिकाओं की सुनवाई की तारीख अभी नहीं आई है। जब याचिकाओं की सुनवाई होगी तब केंद्र सरकार एक नया हलफनामा दाखिल करेगी। जामिया मिलिया इस्लामिया के वीसी ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा है।
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