मोदीराज: भाजपा-शासित छत्तीसगढ़ में दो साल में 1271 किसान आत्महत्या कर चुके हैं? पढ़ें इनसाइड स्टोरी
BY Jan Shakti Bureau4 Aug 2017 7:32 PM IST

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Jan Shakti Bureau4 Aug 2017 7:45 PM IST
छत्तीसगढ़ में लगभग ढाई वर्ष में 1271 किसानों ने आत्महत्या की है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में गुरुवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक धनेंद्र साहू के सवाल के लिखित जवाब में गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने बताया कि राज्य में वर्ष 2015 से 30 जून 2017 तक कुल 11,826 आत्महत्या के प्रकरण दर्ज किए गए हैं. इस अवधि में कुल 1271 किसानों ने तथा 10,555 अन्य व्यक्तियों ने आत्महत्या की है इस अवधि में राज्य के सूरजपुर जिले में 198 किसानों ने, बलौदाबाजार जिले में 181 किसानों ने, बालोद जिले में 170 किसानों ने, महासमुंद जिले में 153 किसानों ने तथा बलरामपुर जिले में 138 किसानों ने आत्महत्या की है.
उन्होंने बताया कि राज्य में इस दौरान आर्थिक तंगी के कारण 11 लोगों ने और कर्जदारी से पीड़ित होकर 17 लोगों ने आत्महत्या की है. गृह मंत्री ने बताया कि 17 प्रकरणों में कुल 11 लाख, 23 हजार 328 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है. इसके दो दिन पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने बताया था कि पिछले डेढ़ साल में राज्य में 111 किसानों ने आत्महत्या की.विधानसभा में मंगलवार को कांग्रेस के विधायक मोहन मरकाम के सवाल के लिखित जवाब में राज्य के राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने बताया था कि वर्ष 2016 और 2017 में 30 जून तक राज्य में 111 किसानों ने आत्महत्या की है. मंत्री ने बताया कि इस दौरान राज्य के बलौदाबाजार में 51 किसानों ने, कबीरधाम जिले में 22 किसानों ने, दुर्ग जिले में 13 किसानों ने, बेमेतरा में नौ किसानों तथा राजनांदगांव जिले में छह किसानों ने आत्महत्या की है.
राज्य के रायपुर और कांकेर जिले में दो दो किसानों ने तथा महासमुंद जिले में तीन किसानों ने आत्महत्या की है, जबकि धमतरी, बालोद और रायगढ़ जिले में एक एक किसान ने आत्महत्या की है.बीते महीनों में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में किसानों ने किसान आत्महत्याओं को लेकर प्रदर्शन किए हैं. किसानों की मांग है कि उन पर लगातार बढ़ते कर्ज का सरकारें उपाय करें. उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले. किसानों पर लदे कर्ज माफ किए जाएं. किसानों की फसलों का बीमा हो और सिंचाई, बीज आदि की सुविधाएं को सुगम बनाया जाए.देश भर के किसान संगठनों ने मिलकर जगह जगह प्रदर्शन किए और यात्रा निकाली है. तमिलनाडु के किसान अभी भी जंतर मंतर पर सौ दिवसीय प्रदर्शन कर रहे हैं.उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नही है आखिर प्रशासन क्या ऐसे ही बैठा रहेगा.
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