मोदी के गुजरात में दलित दुल्हे का हुआ उत्पीड़न, पत्रकार ने कहा- सत्ता में गधे हों, तो दलित घोड़ों पर नहीं बैठते
BY Jan Shakti Bureau19 Jun 2018 10:32 AM GMT
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Jan Shakti Bureau19 Jun 2018 4:08 PM GMT
नई दिल्ली: दलित उत्पीड़न के लिए कुख्यात हो चुके बीजेपी शासित गुजरात में एक नया मामला सामने आया है। राजधानी गांधीनगर में कुछ लोगों ने दलित दूल्हे के घोड़ी पर सवार होने को लेकर आपत्ति जताते हुए उसकी बारात को कई घंटों तक रोके रखी। घटना गत रविवार यानी 17 जून की है। गांधीनगर जिले के मंसा तालुका स्थित पारसा गांव में प्रशांत सोलंकी की शादी वर्षा परमार से थी। प्रशांत मेहसाणा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। प्रशांत अपनी बारात घोड़ी पर ले जाना चाहते थें लेकिन गांव के कथित ऊंची जाति के लोगों को ये बर्दास्त नहीं हुई।
बारात के गांव में पहुंचते दरबार समुदाय के लोगों ने बारात पर हमला कर दिया। उनका कहना था कि दूल्हा घोड़ी नहीं चढ़ेगा, क्योंकि ऐसा सिर्फ कोई शूरवीर ही कर सकता है। दरबार समुदाय के लोग ही घोड़ी चढ़ सकते हैं। ये 21 सदी के भारत की घटना है जहां संविधान सबको बराबर अधिकार देता है। इन मूर्खों को कौन समझाए कि लोकतांत्रिक भारत में किसी के पास शूरवीर होने का कॉपीराइट नहीं है। खैर, दरबार समुदाय के लोगों ने अपने जातीय दंभ का प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने घोड़ी ले जा रहे युवक की पिटाई की। साथ ही बारात में शामिल डीजे को भी तोड़ दिया।
आतंक को बढ़ता देख दुल्हे के परिजनों ने पुलिस से मदद मांगी। बारात रोके जाने की सूचना पर गांव के सरपंच के साथ स्थानीय पुलिस, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और क्राइम ब्रांच की टीम मौके पर पहुंची। जिसके बाद प्रशांत और उनके परिवार को सुरक्षा देकर घोड़ी से दुल्हन के घर तक पहुंचाया गया। इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार शशिलेंद्र तिवारी ने फेसबुक पर लिखा है 'सत्ता में गधे हों, तो दलित घोड़ों पर नहीं बैठते'
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