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शरद यादव ने ऐसा चला दांव की चरों खाने चित हो जायेंगे नितीश, 14 राज्य अध्यक्षों के साथ ठोक दिया असली JDU पर दावा!

शरद यादव ने ऐसा चला दांव की चरों खाने चित हो जायेंगे नितीश, 14 राज्य अध्यक्षों के साथ ठोक दिया असली JDU पर दावा!
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जनता दल (यूनाइटेड) दो फाड़ होती दिख रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने वरिष्ठ सहयोगी और जेडीयू के अध्यक्ष रह चुके शरद यादव को राज्यसभा पार्लियामेंट्री पार्टी के लीडर पोस्ट से क्या हटाया, अब शरद यादव पूरी पार्टी पर ही दावा जताने की ओर बढ़ रहे हैं। शरद यादव के करीबी अरुण श्रीवास्तव ने दावा किया है कि शरद यादव के साथ देश के 14 राज्यों के अध्यक्ष हैं, साथ ही पार्टी के दो राज्यसभा सांसद। यही नहीं, पार्टी के ऑफिस बैरियर के लोग भी शरद यादव के साथ हैं और शरद जल्द ही चुनाव आयोग में दावा ठोककर अपने ग्रुप को असली जेडीयू घोषित करने की मुहिम में उतर सकते हैं। जेडीयू में शरद यादव के पक्ष में 14 राज्यों के अध्यक्षों ने पत्र के माध्यम से निष्ठा जताई है। उनके साथ अली अनवर और एक अन्य राज्यसभा सांसद भी हैं। वहीं, पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को केवल बिहार इकाई का समर्थन हासिल है।



इस बात का दावा करने वाले अरुण श्रीवास्तव गुजरात राज्य के पार्टी महासचिव थे और राज्यसभा चुनाव के दौरान जेडीयू विधायक के कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देने के बाद उन्हें नीतीश कुमार ने पद से हटा दिया था।पार्टी से निलंबन की बात पर बोले शरद- कार्रवाई से नहीं डरता, सड़क पर लडूंगा अरुण श्रीवास्तव ने जेडीयू की पहचान बिहार तक सीमित होने के कुमार के बयान को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी की हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक दल समता पार्टी का जेडीयू में विलय किया, तो उस समय यादव पार्टी प्रमुख थे।


श्रीवास्तव ने कहा कि शरद यादव पार्टी नहीं छोड़ेंगे। नीतीश कुमार ने खुद कहा है कि पार्टी का अस्तित्व बिहार से बाहर नहीं है। ऐसे में उनको बिहार के लिए नयी पार्टी का गठन करना चाहिए। उनको जेडीयू पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, जिसकी हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति रही है। गौरतलब है कि सामाजिक विचारधारा वाले 'जनता परिवार' में विलय और विघटन का पुराना इतिहास रहा है। नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यह कहते हुए यादव से सुलह की गुंजाइश को परोक्ष रूप से खत्म कर दिया था कि वह कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला पूरी पार्टी का था।

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