एक देश, एक कर लागू, जानिए केंद्र और राज्यों के दर्जनभर से अधिक कौन-कौन से कर हुए समाप्त
BY Jan Shakti Bureau1 July 2017 8:53 AM IST

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Jan Shakti Bureau1 July 2017 8:53 AM IST
नई दिल्ली। पूरे देश को जिसका इंतजार था वह 'वस्तु एवं सेवा कर' (जीएसटी) आखिरकार शुक्रवार मध्यरात्रि से लागू हो गया। जीएसटी के लागू होने के साथ वैट, सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क जैसे केंद्र और राज्यों के दर्जनभर से अधिक कर समाप्त हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देशभर में समान कर प्रणाली लागू कर दी गई है। अब देश के भीतर वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की चार दरें- पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत फीसद लागू की जाएंगी। जीएसटी पहला संघीय कर है, जिसे केंद्र और राज्य ने मिलकर लागू किया है। यह सहकारी संघवाद के मॉडल पर आधारित है।
संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में मध्यरात्रि को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलान के साथ ही जीएसटी लागू हो गया। जीएसटी को आजादी के बाद अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा है। इसलिए सरकार ने इसके शुभारंभ के लिए भी ऐतिहासिक जगह चुनी। जीएसटी पर देश में एक दशक से अधिक समय तक चर्चा चली। कई सरकारें बदलीं और आखिरकार राजग सरकार विभिन्न दलों में आम राय बनाते हुए इसे लागू करने में कामयाब रही। जीएसटी की लांच के इस कार्यक्रम में सरकार ने विपक्षी दलों को भी आमंत्रित किया था, लेकिन कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी पार्टियों ने खुद को इस आयोजन से दूर रखा।
आम आदमी को राहत
निम्न और मध्यम वर्ग के इस्तेमाल की भी अधिकांश वस्तुओं पर भी जीएसटी की दर शून्य रखी गयी है। हालांकि, धनाढ्य वर्ग के काम आने वाली चीजों और सेवाओं पर टैक्स वसूलने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। तंबाकू और लग्जरी वस्तुओं व महंगी कारों पर जीएसटी के अलावा भारी भरकम सेस भी अलग से लगाया गया है।
सभी वस्तुओं पर टैक्स
शराब को छोड़कर सभी वस्तुएं जीएसटी के दायरे में हैं। हालांकि पांच पेट्रोलियम उत्पादों- कच्चा तेल, एटीएफ, डीजल, पेट्रोल और प्राकृतिक गैस पर जीएसटी किस तारीख से लागू होगा, इसका फैसला केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल करेगी। फिलहाल इन पांच उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा गया है।
जीएसटी काउंसिल लेगी फैसले
जीएसटी के संबंध में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। काउंसिल में निर्णय लेने के लिए मताधिकार की व्यवस्था होने के बाद भी काउंसिल की अब तक हुई डेढ़ दर्जन बैठकों में सभी फैसले आम राय से ही हुए हैं।
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