आखिर टूट गई 'यूपी के लड़कों' की दोस्ती, अलग चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने हाथ मिलाया था और नारा दिया था "यूपी को ये साथ पसंद है।" लेकिन अब यह नारा गुज़रे ज़माने की बात हो गई। यूपी विधानसभा चुनाव नतीजे आने और इसमें इस गठबंधन की करारी हार के बाद पहली बार यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने चुनावी मुद्दे पर बात की है।
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राज बब्बर ने एक अंग्रेजी अख़बार को दिए इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस राज्य में होने वाले निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी।पिछले एक महीने में राज बब्बर ने पार्टी अधिकारियों के साथ एक के बाद एक कई मीटिंग की हैं। उन्होंने कहा, "हमने फैसला किया है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में आगामी शहरी निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी। किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा।समाजवादी के साथ भी नहीं।"
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राज बब्बर ने कहा कि कोई भी फैसला लेने से पहले पार्टी नेतृत्व की जिम्मेदारी थी कि वह गठबंधन पर सबकी राय ले। इसलिए जिला स्तर के कार्यकर्ताओं, चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवारों और एक लाख से ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवारों के साथ एक मीटिंग रखी गई थी। बब्बर ने बताया कि पार्टी अधिकारियों से चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने और प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को और मौका देने की बात कही है।बता दें कि 2017 यूपी चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बेहद कम सीटें आई थी।
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समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने के बावजूद दोनों पार्टी मिलकर कुल 54 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थीं। 105 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस अकेले सिर्फ 7 सीटें जीत पाई थी। इतना ही नहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र अमेठी में तो कांग्रेस सभी पांच सीटें हार गई, जिसमें से चार अकेले भाजपा की नाम रही। चुनाव नतीजे आने के बाद राज बब्बर ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। शिक्सत पर बोलते हुए राज बब्बर ने कहा था कि वह उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। उन्हें जो जिम्मेदारियां दी गई थीं वह पूरी नहीं कर पाए और इस बात को वह स्वीकार करते हैं।