चुनी हुई सरकार के पास असली ताकत, LG के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं- पढ़िए क्या क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने!
BY Jan Shakti Bureau4 July 2018 12:19 PM IST

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Jan Shakti Bureau4 July 2018 5:57 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली सरकार बना एलजी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुधवार को आ गया. संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि मंत्रिपरिषद के पास फैसले का अधिकार है. कैबिनेट को फैसलों की जानकारी देनी होगी. उसे अब एलजी की सहमति की जरूरी नहीं. अब सिर्फ तीन रिजर्व सब्जेक्ट भूमि, लॉ एंड ऑर्डर और पुलिस पर केंद्र का दखल रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 12 बड़ी बातें
♦दिल्ली के उपराज्यपाल को स्वतंत्र फैसला लेने का अधिकार नहीं, वह अवरोधक के तौर पर कार्य नहीं कर सकते.
♦ उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता से एवं सलाह पर काम करना होगा.
♦मंत्रिपरिषद के सभी फैसलों से उपराज्यपाल को निश्चित रूप से अवगत कराया जाना चाहिए लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें उपराज्यपाल की सहमति आवश्यक है.
♦उप राज्यपाल को यांत्रिकी (मशीनी) तरीके से कार्य नहीं करना चाहिए और ना ही उन्हें मंत्रिपरिषद के फैसलों को रोकना चाहिए.
♦उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल को स्वतंत्र अधिकार नहीं सौंपे गए हैं.
♦उप राज्यपाल सामान्य तौर पर नहीं, केवल अपवाद मामलों में मतभेद वाले मुद्दों को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं.
♦ उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए और मतभेदों को विचार-विमर्श के साथ सुलझाने के लिए प्रयास करने चाहिए.
♦न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ ने अपने अलग लेकिन सम्मलित फैसले में कहा कि उपराज्यपाल को निश्चित रूप से यह महसूस होना चाहिए कि मंत्रिपरिषद जनता के प्रति जवाबदेह है.
♦सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था सहित तीन मुद्दों को छोड़ कर दिल्ली सरकार के पास अन्य विषयों में शासन का अधिकार है. > सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से दिए गए फैसले में कहा कि असली ताकत मंत्रिपरिषद के पास है.
♦न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उपराज्यपाल को निश्चित रूप से यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि निर्णय वह नहीं बल्कि मंत्रिपरिषद लेगी.
♦दिल्ली के उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं
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