बड़ी खबर: देश पर पड़ने वाली है महंगाई की बड़ी मार, एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी से लेकर बिजली तक सब होगी महंगी
BY Jan Shakti Bureau23 May 2018 6:33 AM GMT
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Jan Shakti Bureau23 May 2018 12:25 PM GMT
पेट्रोल एवं डीजल की आसमान छूती कीमतों के बीच अब चूल्हा जलाना, खेतों में खाद डालना और बिजली, सब महंगी होने वाली है। इसकी वजह प्राकृतिक गैस का महंगा होना है। पिछले एक सप्ताह में ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्पॉट एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) के दाम करीब 10 फीसदी बढ़ चुके हैं। इसका असर घरेलू बाजार में दिखना तय है।
कच्चे तेल में तेजी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इस समय जो तेजी दिखी है, वह वर्ष 2014 के अंतिम महीनों के बाद की सबसे बड़ी तेजी है। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा के अन्य साधनों जैसे- एलएनजी और कोयले की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है। पिछले सप्ताह एशियन एलएनजी स्पॉट प्राइस 10 फीसदी महंगा होकर 8.70 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) पर पहुंच गया। यह एक सप्ताह पहले के मुकाबले करीब 80 सेंट महंगा है।
नेचुरल गैस भी हुई महंगी
इसी तरह अमेरिका में हेनरी हब नेचुरल गैस फ्यूचर भी एक फीसदी महंगा हुआ है। यूं तो अमेरिका भारत से बेहद दूर है, लेकिन वहां गैस की कीमतों में बढ़ोतरी इसलिए मायने रखती है, क्योंकि भारतीय कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड ने वहां की एक कंपनी से 30 वर्षों के लिए गैस आपूर्ति का समझौता किया है। इस समझौते के तहत अमेरिका के लुसियाना से एलएनजी का आयात शुरू भी हो गया है।
अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में दिखेगा असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राकृतिक गैस के महंगा होने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में दिखेगा। यूं तो इस समय भारतीय ऊर्जा परिदृश्य में प्राकृतिक गैस की भागीदारी महज 6.5 फीसदी की है, लेकिन इसकी भागीदारी जिस क्षेत्र में है, उसका असर जीवन के हर क्षेत्र में होगा।
CNG, PNG होगी महंगी
इस समय देश के 13 राज्यों में सिटी गैस परियोजना चल रही है। मतलब इन राज्यों में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की खाना बनाने के लिए गैस की आपूर्ति हो रही है, वहीं सीएनजी के रूप में मोटर वाहन चलाने के लिए गैस की आपूर्ति हो रही है। सिटी गैस परियोजना के लिए घरेलू गैस की आपूर्ति करीब 25 फीसदी है। मतलब 75 फीसदी के लिए आयातित गैस पर निर्भरता है। यदि आयातित गैस महंगा होगा तो पीएनजी और सीएनजी के दाम बढ़ना तय है।
रासायनिक उर्वरक भी होगा महंगा
देश में इस समय प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा औद्योगिक ग्राहक उर्वरक क्षेत्र ही है। इस समय करीब 35 फीसदी गैस की खपत उर्वरक क्षेत्र में ही हो रही है। जब इसका मुख्य इनपुट (प्राकृतिक गैस) ही महंगा हो जाएगा, तो रासायनिक उर्वरकों का दाम भी बढ़ेगा। सरकार चाहे तो इसके असर से किसानों को बचा सकती है, लेकिन उस सूरत में सब्सिडी बढ़ानी पड़ेगी जो राजकोषीय घाटे को बढ़ाएगा।
जली भी होगी महंगी
उर्वरक के बाद बिजली ऐसा क्षेत्र है, जहां प्राकृतिक गैस की सबसे ज्यादा खपत है। इस समय देश में करीब 24 गीगावाट क्षमता के बिजली घर गैस से चल सकते हैं, लेकिन इनमें से 14 गीगावाट क्षमता के बिजली घर गैस के बिना बंद हैं। शेष 10 गीगावाट क्षमता के बिजली घर भी अपनी पूर्ण क्षमता में नहीं चलते। तब भी इस क्षेत्र में देश के कुल गैस खपत का करीब 25 फीसदी हिस्सा खर्च होता है। जब गैस महंगा होगा, तो बिजली महंगी होगी और बिजली महंगी होने का असर जीवन के हर क्षेत्र में दिखेगा।
लघु उद्योगों को भी होगी परेशानी
देश के जिन राज्यों में सिटी गैस परियोजना चल रही हैं, वहां चरणबद्ध तरीके से लघु उद्योगों को भी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति शुरू की गई है। ऐसा इसलिए, ताकि ये उद्यमी कोयला या पेट कोक के बदले गैस का उपयोग करें और प्रदूषण पर लगाम लगे। जब गैस महंगा होगा तो इनकी इनपुट लागत बढ़ जाएगी।
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