मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिखाया आंकड़ों का आईना
भारतीय अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तकरार थमती नजर नहीं आ रही है। मंगलवार (29 नवंबर) को एक बार फिर केंद्र सरकार ने आंकड़ों के हवाले से जजों की नियुक्ति में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट के जिम्मेदार ठहराया है। केंद्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने पिछले एक साल में सर्वोच्च अदालत में सात खाली पड़े पदों के लिए एक भी नाम विचार के लिए नहीं भेजा है। केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के रिक्त 430 पदों पर नियुक्ति के मसले पर भी पलटवार करते हुए कहा कि 24 हाई कोर्टों के 279 पदों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कोई नाम प्रस्तावित नहीं किया है। सरकार में शामिल एक सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "सुप्रीम कोर्ट में सात पद खाली हैं, जिनमें से एक करीब एक साल से रिक्त है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने अभी तक इसके लिए सरकार के पास कोई नाम नहीं भेजा है।"
इससे पहले 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर और देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक समारोह में परोक्ष रूप से इसके लिए एक दूसरे पर हमला किया था। जस्टिस ठाकुर ने कहा था कि देश के हाई कोर्टों में न्यायाधीशों के पांच सौ पद रिक्त हैं। उम्मीद है सरकार इस संकट को खत्म करने के लिये इसमें हस्तक्षेप करेगी। वहीं प्रसाद ने कहा कि सरकार ने इस साल 120 नियुक्तियां की हैं जो 1990 के बाद से दूसरी बार सबसे अधिक हैं। प्रसाद ने निचली अदालतों में खाली पदों का भी मुद्दा उठाया जिन पर नियुक्ति खुद अदालतें करती हैं।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार को साल 2015 और 2016 में विभिन्न हाई कोर्ट से कुल 370 नामों की नियुक्ति का प्रस्ताव मिला है। इनमें से 328 के नाम को मंजूरी देकर सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 328 में 290 नामों पर विचार किया और 38 को रोक दिया गया। सूत्र के पीटीआई को बताया, "290 नामों से सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 99 नामों को खारिज कर दिया और 191 नामों को अंतिम मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा। यानी 34.13 नामों को खारिज कर दिया गया जो कि कोलेजियम द्वारा खारिज किए गए नामों की सबसे अधिक दरों में एक है। इससे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप कोलेजियम सिस्टम में सुधार की जरूरत का पता चलता है।"
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा भेजे गए 191 नामों में से 120 को जज के तौर पर नियुक्ति किए जाने को अंतिम मंजूरी दे दी। सूत्रों के अनुसार विभिन्न हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को 28 अन्य नाम मिले हैं जिन पर फैसले की प्रक्रिया जारी है। 1990 से हाई कोर्टों में औसतन हर साल 80 जजों की नियुक्ति होती रही है। हाई कोर्ट में सबसे अधिक 121 जजों की नियुक्ति 2013 में हुई थी। मौजूदा सरकार इस साल 120 जजों के नाम को अंतिम मंजूरी दे चुकी है। निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति हाई कोर्ट द्वारा की जाती है इसलिए उसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती। 30 जून तक देश की निचली अदालतों के कुल 21320 जजों में से 4937 पद खाली थे।
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