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सीएम योगी ने मोदी जी को दिया झटका, पलट दिया मोदी का पूरा के इस मॉडल को!
BY Jan Shakti Bureau4 Aug 2017 4:13 AM GMT

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Jan Shakti Bureau4 Aug 2017 4:13 AM GMT
पिछले साल जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रियल एस्टेट कानून बनाया तो मकान और दुकान खरीदने वालों को लगा कि अब उन्हें अपनी प्रोपर्टी सही समय पर मिल जाएगी. उनमें यह भरोसा जगा कि अब बिल्डर उन्हें परेशान नहीं करेंगे. लेकिन अब लगता है कि दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद सहित पूरे उत्तर प्रदेश में जो भी लोग इस उम्मीद में बैठे हों उन्हें अब यह उम्मीद छोड़ देनी चाहिए. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस कानून को जिस रूप में लागू कराने का निर्णय लिया है उसके बाद नए कानून के दायरे में मौजूदा परियोजनाएं नहीं आएंगी. इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपने नोएडा के किसी ऐसे प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदा है जिसका काम अब तक पूरा नहीं हुआ तो आपको नए कानून से कोई मदद नहीं मिलेगी.
बिल्डर चाहे और भी कई साल आपको क्यों न इंतजार कराए, आप उनकी शिकायत नए प्रस्तावित प्राधिकरण में नहीं कर सकते. योगी सरकार बिल्डरों पर इतनी मेहरबान है कि अगर किसी बिल्डर ने सिर्फ लाइसेंस के लिए भी पहले से आवेदन कर रखा हो तो उसकी भावी परियोजना नए कानून के दायरे से बाहर होगी. रियल एस्टेट नियमन कानून के तहत इस क्षेत्र के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक प्राधिकरण का गठन होना है. कानून के तहत इस प्राधिकरण को संबंधित मामलों की सुनवाई और उन पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. लेकिन योगी सरकार के इस कदम से मौजूदा परियोजनाओं से संबंधित कोई भी शिकायत प्रस्तावित प्राधिकरण के पास दर्ज नहीं कराई जा सकेंगी. रियल एस्टेट राज्यों का विषय है इसलिए केंद्र सरकार ने माँडल कानून बनाया था.
संविधान में जो विषय राज्यों के दायरे में हैं, उन पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों का ही है. केंद्र सरकार इन विषयों पर कानून तो बना सकती है लेकिन उसे राज्यों को मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकती. राज्यों को इन्हें अपने हिसाब से लागू करना था. लेकिन योगी सरकार ने तो इसमें फेरबदल नहीं बल्कि उलटफेर कर दिया है. इस कानून के जरिए आम लोगों को राहत देने के मोदी सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते हुए योगी सरकार ने यह प्रावधान कर दिया है कि अगर किसी परियोजना के किसी एक टावर को भी कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल गया हो तो वह नए कानून के दायरे से बाहर हो जाएगा. इस प्रावधान की वजह से सालों से अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे दसियों लाख लोगों के लिए इस कानून का कोई मतलब नहीं रह गया है. जिन लोगों ने नए कानून से उम्मीद लगा रखी थी, उन्हें आगे भी बिल्डर की इच्छाओं पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.
योगी सरकार बिल्डरों पर इतनी मेहरबान है कि अगर किसी बिल्डर ने सिर्फ लाइसेंस के लिए भी पहले से आवेदन कर रखा हो तो उसकी भावी परियोजना नए कानून के दायरे से बाहर होगी. इस प्रावधान को भी ग्राहकों के हितों के खिलाफ बताया जा रहा है. मोदी सरकार ने जो कानून पास किया था उसमें दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को तीन साल तक जेल भेजने का भी प्रावधान था. लेकिन योगी सरकार ने इसे पलटते हुए सिर्फ आर्थिक जुर्माने का ही प्रावधान रखा है नरेंद्र मोदी ने जो कानून पास किया था उसमें दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को तीन साल तक जेल भेजने का भी प्रावधान था. लेकिन योगी सरकार ने इसे पलटते हुए सिर्फ आर्थिक जुर्माने का ही प्रावधान रखा है. वह भी कुल परियोजना लागत का महज दस फीसदी जबकि मूल कानून में अधिक आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया गया था.सच्चाई यह है कि मोदी सरकार को पलटते हुए योगी सरकार ने कानून को लागू करा दिया है. कुल मिलाकर हालत इंतजार कर रहे लोगों को अच्छे दिनों का इंतजार अभी और करना पड़ेगा और पता नही कब तक
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