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गोरखपुर दंगा: आरोपी योगी आदित्यनाथ को नहीं मिली राहत, HC में 31 को होगी सुनवाई: जानिए क्या है पूरा मामला
BY Jan Shakti Bureau29 July 2017 10:33 AM GMT
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Jan Shakti Bureau29 July 2017 12:09 PM GMT
इलाहाबाद। साल 2007 के गोरखपुर दंगों के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं। परवेज़ परवाज और असद हयात द्वारा दायर याचिका में योगी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई शुरु हुई। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई। जस्टिस कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 31 जुलाई को फिर सुनवाई की तारीख दी है।
क्या था मामला
गोरखपुर में 2007 में 26 व 27 जनवरी की रात में मोहर्रम जुलुस निकल रहा था। जुलूस में अचानक से दो पक्षों में विवाद शुरू हो गया। कुछ ही पल में यह विवाद खूनी खेल में तब्दील हो गया। पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद मामला बेकाबू हो चला। कोतवाली थाना क्षेत्र के झंकार सिनेमा के पास पुलिस की गाड़ी से राजकुमार अग्रहरि नामक युवक को खींचकर गुस्साई भीड़ ने चाकू मारकर हत्या कर दी। इस हत्याकांड के बाद मामले ने अचानक सांप्रदायिक रंग ले ली। धरना-प्रदर्शन होने लगा।
महाराणा प्रताप चौराहा पर बीजेपी के बड़े नेताओं की अगुवाई में सभा हुई। बताया जाता है कि इस सभा में वक्ताओं ने भड़काऊ भाषण दिए। भड़काऊ भाषण देने वालों में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ भी थे। आरोप लगा कि उनके भाषण के बाद ही दंगा भड़क गया। इस दंगे में राशिद नाम के एक युवक की भी जान गई। राशिद की मौत के बाद वादी बने परवेज परवाज ने केस दर्ज कराया। वादी के अनुसार वह भाषण के दौरान वहां से गुजर रहे थे।
वादी परवेज ने कैण्ट इंस्पेक्टर को तहरीर देकर विवादित बयान देने और उसके बाद भड़के दंगे में हुई राशिद की हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज करने की अपील की। थाने में मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो वादी परवेज परवाज ने न्यायालय की शरण ली। इसके बाद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने व उन्माद फैलाने की धाराओं सहित 302, 153ए, 153बी, 295, 295बी, 147, 143, 427, 452 के तहत कैण्ट थाना में मुकदमा दर्ज किया गया।
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