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भरी सभा में योगी के दो उप मुख्यमंत्री मौर्य और शर्मा में हुई कुर्सी की जंग, जानें फिर क्या हुआ
BY Jan Shakti Bureau8 July 2017 6:39 AM GMT
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Jan Shakti Bureau8 July 2017 6:39 AM GMT
लखनऊ। गुरुवार की शाम को राजधानी के साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में एक सरकारी कार्यक्रम था। इसी कार्यक्रम में केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के बीच कुर्सी को ले तनाव रहा. शायद यह दो उप मुख्यमंत्रियों के मानसिक संघर्ष की कहानी है जो अचानक अपने भौतिक रूप में आ गई। कइयों ने इसे महसूस किया। कुछ मुस्कुराए, कुछ तनाव में आए और फोटोग्राफरों ने इसे अपने कैमरों में कैद भी कर लिया। वाकया कुर्सी का है। कन्वेंशन सेंटर में खेलो भारत अभियान का शुभारंभ कार्यक्रम था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, भारती जनता युवा मोर्चा की नेता पूनम महाजन समेत कई महत्वपूर्ण नेता भाग ले रहे थे। मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बगल की एक कुर्सी पर पूनम महाजन बैठी थीं और दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा थे। मुख्यमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग में भाग ले रहे थे, इसलिए वह देरी से पहुंचे और केशव प्रसाद मौर्य कानपुर के एक कार्यक्रम में थे। इसलिए वह भी देरी से ही आए और दिनेश शर्मा के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गए।
शपथ ग्रहण के वरिष्ठताक्रम और प्रोटोकाल के हिसाब से केशव प्रसाद मौर्य सरकार में वरिष्ठ उप मुख्यमंत्री हुए, इसलिए उनकी कुर्सी मुख्यमंत्री के बगल ही होनी चाहिए। वह देरी से आए थे, तो भी कुर्सी खाली रहनी चाहिए थे। लेकिन न जानें अफसरों से चूक हुई या दिनेश शर्मा ने जान-बूझकर ऐसा किया कि वह मुख्यमंत्री के बगल वाली कुर्सी में बैठ गए। यह बात शायद केशव प्रसाद मौर्य को नागवार गुजरी। मंच संचालक ने प्रोटोकाल के हिसाब से पहले दिनेश शर्मा को बोलने के लिए आमंत्रित किया। इसके बाद केशव प्रसाद और फिर मुख्यमंत्री को बुलाया गया।
दिनेश शर्मा जैसे ही बोलने के लिए पोडियम तक पहुंचे कि केशव प्रसाद मौर्य अपनी कुर्सी से उठे। वह मुख्यमंत्री के बगल की उस कुर्सी पर बैठ गए, जिस पर अब तक दिनेश शर्मा बैठे थे। इतना ही नहीं, उन्होंने नेमप्लेट भी बदल दी। यानी बगल वाली कुर्सी के सामने रखी अपनी नेमप्लेट अपनी कुर्सी के सामने कर ली और दिनेश शर्मा की नेमप्लेट उस कुर्सी के सामने कर दी, जिस पर वह खुद अब तक बैठे थे। यह सारा माजरा वहां बैठे नेता, पत्रकार और अफसर देखते रहे। फोटोग्राफरों ने तो बाकायदा इसका वीडियो बनाया।इस बीच दिनेश शर्मा अपना भाषण पूरा कर जैसे ही मंच पर आए, यहां का सीन बदला हुआ था। वह बिना बोले लेकिन कुछ नजरें टेढ़ी किए हुए केशव के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गए। इसके बाद भाषण देने का नंबर केशव प्रसाद मौर्य का था। वह पोडियम की ओर जैसे ही बढ़े कि दिनेश शर्मा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बगल वाली उस कुर्सी पर बैठ गए जिस पर केशव प्रसाद बैठे थे। लेकिन जब उन्होंने देखा कि नेमप्लेट बदली हुई है तो चुपचाप कुर्सी से उठे और अजीब नजरों से देखते हुए बगल वाली उस कुर्सी पर जाकर बैठ गए, जिसके सामने उनकी नेमप्लेट लगी थी।
इस बात को लेकर भाजपा नेताओं में खुसुर-फुसुर भी हुई। कुछ लोग दिनेश शर्मा पर दोषारोपण कर रहे थे तो कुछ केशव प्रसाद पर। कुछ का कहना था कि सरकार के प्रोटोकाल के हिसाब से अगर केशव प्रसाद मौर्य वरिष्ठ हैं तो पहले आ जाने पर भी दिनेश शर्मा को उस कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए, जिस पर केशव प्रसाद का अधिकार बनता है। लेकिन कुछ का यह भी तर्क था कि अगर दिनेश शर्मा मुख्यमंत्री के बगल बैठ ही गए थे तो केशव प्रसाद को फेरबदल नहीं करना चाहिए था। बहरहाल, इस पूरे वाकये का मजेदार पहलू यह रहा कि मुख्यमंत्री के बगल यह सब चल रहा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने कुछ देखा ही नहीं। कुछ लोग वहीं पर टिप्पणी करने लगे थे कि कुर्सी का मामला है, कैसे कोई चूके।
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