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उत्तर प्रदेश

योगी के मंत्री के बिगड़े बोल, भाजपा कार्यकर्ताओं को कहा दलाल: जानिए कहाँ का है मामला

योगी के मंत्री के बिगड़े बोल, भाजपा कार्यकर्ताओं को कहा दलाल: जानिए कहाँ का है मामला
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अमेठी। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंत्रियों के बोल लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, हद तो ये है की अब भाजपा कार्यकर्ता भी इन के निशाने पर आ गए हैं, जिस से नाराज़ पार्टी कार्यकर्ताओं ने पार्टी को अलविदा कहना शुरु कर दिया है। ताजा मामला प्रदेश स्थित अमेठी के जगदीशपुर में सामने आया है। यहां योगी के मंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक मीटिंग में 'दलाल शब्द' से संबोधित किया है, जिससे आहत पार्टी के पार्टी कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष को पत्र लिखकर अल्टिमेटम दिया है।


आपको बता दें कि अमेठी की जगदीशपुर विधानसभा सीट पर कमोबेश कांग्रेस का ही परचम लहराया है। दो दशक से अधिक वक्त बीतने के बाद 'मोदी लहर' में यहां बीजेपी का 'कमल खिला'। सुरेश पासी यहां से एमएलए चुने गए। जिन्हें फौरन ही योगी के मंत्रीमंडल में जगह देते हुए राज्यमंत्री का पद दिया गया। सुरेश पासी के एमएलए से लेकर राज्यमंत्री बनने के सफर तक में जिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने जी जान लगा दी थी अब उन्हीं लोगों ने उनसे दूरी बनाना शुरु कर दी है। मूल रूप से इस बगावत का पहला कारण इस आरोप पर आधारित है के मंत्री पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे हैं। वो क्षेत्र की समस्याओं पर भी ध्यान नहीं दे रहे।


जिलाध्यक्ष को लिखा पत्र इस बगावत में मुखर रूप जगदीशपुर विधानसभा के शुकुलबाजार पूर्वी के मंडल अध्यक्ष जसकरन सिंह का देखने को मिला है। विधानसभा जगदीशपुर के सेक्टर बूथो व विधानसभा कार्यकारिणी सदस्यों के साथ मंत्री सुरेश पासी के खिलाफ मोर्चा खोल वो सड़क पर उतर आये हैं। मंडल अध्यक्ष जसकरन सिंह ने भाजपा जिलाध्यक्ष उमाशंकर पाण्डेय को शिकायती पत्र देते हुए राज्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि पिछले दिनों राज्यमंत्री खंड विकास कार्यालय में एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उस समय उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं को 'दलाल' बताया जिसके बाद से ही कार्यकर्ता काफी आहत है। इसके अलावा उन्होंने राज्यमंत्री सुरेश पासी पर क्षेत्र की समस्याओं को नजर अंदाज करने का भी आरोप लगाया है। जिलाध्यक्ष से ये मांग की गई है कि समय रहते राज्यमंत्री के ऐसे बयानों पर अंकुश लगाया जाए, अन्यथा स्थानीय संगठन मजबूरन त्याग पत्र देने पर मजबूर होगा।

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