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महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात में चल रहा किसानआंदोलन देशव्यापी बनेगा: अतुल अनजान

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात में चल रहा किसानआंदोलन देशव्यापी बनेगा: अतुल अनजान
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नई दिल्ली: अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रिय महासचिव अतुल कुमार सिंह अनजान ने जनशक्ति से किसान समस्या पर बात करते हुए कहा कि देश के किसान अत्यंत पीड़ा की दौर से गुजर रहे हैं वहीं केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों ने उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है। कृषि लागत दरनिरंतर बढ़ती जा रही है, केन्द्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य राजनैतिक औरआर्थिक बेईमानी के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। इस के नतीजे में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात सहित अन्य कई राज्यों में किसान आंदोलन अपनी उग्र स्थिति पर पहुंचने वाले हैं।

अतुल कुमार अनजान ने आगे कहा कि महाराष्ट्र में छह दिन से चल रहे राज्यव्यापी किसान आंदोलन ने शहरों और कस्बों में कृषि उत्पाद बेचने से मना कर दिया। दूध, फल, सब्जियां और अनाज मंडियों में न पहुंचने के कारण सरकार की शह पर और संरक्षण में मुनाफाखोरी करने वाले एजेंट और बिचैलिये मनमाने दामों पर आवश्यक वस्तुएं बेच रहे हैं। मुंबई में धनिया 120रुपए किलो, टमाटर 100 रुपए किलो तक बिक रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पहले किसानों कोमात्र 3 से 4 रुपए प्रतिकिलो टमाटर के दाम प्राप्त होते थे। किसानों का दूध के दाम सरकार बहुत कम दे रही है जबकि दूध देने वाले जानवारों का पशुआहार 40 से 60 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।

यह दिखलाता है किसानों का शोषण कितना गहरा और दुखदायी है। अहमदनगर,सांगली, कोल्हापुर, नांदेड, औरंगाबाद, नासिक सहित पूरे राज्य में किसानों की शानदारहड़ताल चल रही है। किसान हड़ताल के कारण राज्य में दूध पुलिस संरक्षण में बांटा जा रहा है। किसानों की प्रमुख मांग है कि किसानों के वर्ष 2016 तक के सभी सहकारी, निजी एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्जे माफ किये जाएं। कृषि लागत दर हटाई जाए। बिजली के बकाया बिल माफ किया जाए। सिंचाई की कारगर व्यवस्था किया जाए। लगातार सूखे से बर्बाद फसलों का मुआवजा दिया जाए। कपास सहित अन्य नगदी फसलों के दामों में कारपोरेट घरानों कीदखल अंदाजी से गिर रहे भाव को रोकने की व्यवस्था की जाए। फसलों का लाभकारी मूल्यदिया जाए एवं 60 साल के सभी स्त्री-पुरूष किसानों, खेत मजदूरों को पेंशन दी जाए। उन्हों ने कहा कि इसी प्रकार की मांग को लेकर मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ पिछले ४ दिन से इंदौर, मंसौर, उज्जैन, ग्वालियर एवं भोपाल सहित किसानों के आंदोल
हिंसक हो रहे हैं। गुजरात में भी किसान आंदोलन की राह पर हैं।

किसान सभा नेता अतुल कुमार अनजान ने आगे कहा कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकारबड़े-बड़े वायदे तो कर रही है परन्तु स्थिति गंभीर बनी हुई है। वर्ष 2014 में 5650,2015 में 8007 और 2016 में 12610 किसानों द्वारा आत्महत्या करने की रिपोर्ट प्राप्त हुई है अर्थात 35 किसान औसतन आत्महत्या कर रहे हैं। देश में किसानों पर कुल कर्जा 12.5 लाख करोड़ रुपए का है जिसमें 80 फीसदी कर्ज सीमांत, लघु, मध्यम किसानों पर है। कृषि उत्पाद के लाभकारी मूल्य के अभाव में तथा बढ़ते कृषि लागत दर के कारण किसानों पर लगातार ब्याज के कारण यह बकाया धनराशि है। कांग्रेस और भाजपा की सरकार दोनों ही ने विगत 10 वर्षों में देश के बड़ेऔद्योगिक कारपोरेट घरानों के अथाह लाभ के एक हिस्से पर बकाया टैक्स का 36.५ लाख करोड़ रुपया माफ कर दिया है परन्तु किसानों का कर्ज माफ करने में तरह-तरह के नकारात्मक तर्क दिये जा रहे हैं।

उन्हों ने कहा कि अखिल भारतीय किसान सभा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देश के अन्य राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन की मांगों के पूर्ण रूप से समर्थन करती है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जिस घिनौने तरिके से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों को भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार ने क़त्ल किया है वह निंदनीय घटना है. राज्य सरकार द्वारा अंधाधुंध फायरिंग के बाद अब वह नकार रही रही है की पुलिस ने गोली चलाई है. आननफानन में न्यायिक जाँच के आदेश दे कर भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथ्य पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं. अखिल भारतीय किसान सभा ने देश के किसान संगठनों से अपील की है की राष्ट्रव्यापी विरोध संगठित करें

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