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मध्य प्रदेश BJP में फूट? प्रज्ञा ठाकुर ने नाराज होकर छोड़ दी कुर्सी, शिवराज के आने से पहले ही गईं

पार्टी का कार्यक्रम बीच मे छोड़कर जाने के दौरान तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कुछ नहीं कहा लेकिन इसके बाद एक अन्य कार्यक्रम में उनकी पीड़ा ज़ुबान पर आ गई. भोपाल के मानस भवन में प्रवचन कार्यक्रम में पहुंचीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि 'अधूरी बात करना व्यक्तित्व का अधूरापन है.

मध्य प्रदेश BJP में फूट? प्रज्ञा ठाकुर ने नाराज होकर छोड़ दी कुर्सी, शिवराज के आने से पहले ही गईं
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मध्य प्रदेश BJP में फूट? प्रज्ञा ठाकुर ने नाराज होकर छोड़ दी कुर्सी, शिवराज के आने से पहले ही गईं 

जनशक्ति: भोपाल की बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर मंच पर पीछे कुर्सी मिलने से इतनी नाराज हुईं कि कार्यक्रम ही छोड़कर चली गईं. दरअसल, भोपाल में शुक्रवार को जिला भाजपा कार्यालय का उद्घाटन कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा समेत कई भाजपा नेताओं को यहां आमंत्रित किया गया था.

पुराने भोपाल में बने इस कार्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम पर नेताओं के बैठने के लिए बड़ा मंच बनाया गया था. तय समय पर सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी यहां पहुंच गईं थीं लेकिन जब मंच पर उन्होंने देखा कि उन्हें पिछली पंक्ति में कुर्सी दी गई है तो वो नाराज हो गईं. उन्होंने वहां मौजूद स्थानीय नेताओं पर नाराजगी जाहिर की जिसके बाद उन्हें मनाने की कोशिश भी की गई लेकिन साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर नहीं मानीं और मुख्यमंत्री के आने से पहले ही कार्यक्रम छोड़ कर चली गईं.


दूसरे कार्यक्रम में बताई पीड़ा

पार्टी का कार्यक्रम बीच मे छोड़कर जाने के दौरान तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कुछ नहीं कहा लेकिन इसके बाद एक अन्य कार्यक्रम में उनकी पीड़ा ज़ुबान पर आ गई. भोपाल के मानस भवन में प्रवचन कार्यक्रम में पहुंचीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि 'अधूरी बात करना व्यक्तित्व का अधूरापन है. इससे ज्यादा मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जो समझ गए वह ठीक और जो इसे ना समझे वो अनाड़ी हैं. कुर्सी की खींचतान में आज हम भी फंस गए, अभी तक नहीं फंसे थे.

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि चुनाव लड़ लिया लेकिन वो कुर्सी की खींचतान नहीं थी वह तो युद्ध था क्योंकि हम तो कहीं भी रह सकते हैं जंगल में भी रह सकते हैं. परन्तु, जिस बात की लड़ाई लड़कर प्रभु ने मुझे जिस स्थान पर भेजा वहां भी उसकी मर्यादा नहीं रख पाए तो मुझे लगता है वह स्थान छोड़ देना चाहिए.

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