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कोरोना के डर से जब परिवार ने छोड़ा साथ तो तब्लीगी जमात ने 560 कोविड संक्रमितों का किया अंतिम संस्कार

पिछले साल तब्लीगी जमात के खिलाफ एक घृणित दुष्प्रचार हुआ था, जिसमें जमात के सदस्यों को कोविड-19 फैलाने का दोषी ठहराया गया था. हालांकि इन चीजों का इस मुस्लिम समूह पर कोई असर नहीं पड़ा .

कोरोना के डर से जब परिवार ने छोड़ा साथ तो तब्लीगी जमात ने 560 कोविड संक्रमितों का किया अंतिम संस्कार
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नई दिल्ली: दामोदर रेड्डी (26) ने तिरुपति स्थित एसवीआईएमएस अस्पताल में कोविड-19 से दम तोड़ दिया और मगर संक्रमण का ऐसा डर देखने को मिला कि उनके परिवार व रिश्तेदार भी उनका अंतिम संस्कार करने के लिए आगे नहीं आए. हालांकि यहां मुसलमानों के एक समूह ने हिंदू परंपराओं के अनुसार दामोदर का अंतिम संस्कार किया. ऐसी ही घटना रुइया अस्पताल में देखने को मिली, जब एक चर्च के पादरी वेट्टी दस्सू का कोविड की वजह से निधन हो गया, तो उनके रिश्तेदारों में से कोई भी शव लेने नहीं आया और फिर से यही मुस्लिम समूह अस्पताल पहुंचा और इसने पार्थिव शरीर का ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार सुनिश्चित किया.

ध्यान रहे कि पिछले साल तब्लीगी जमात के खिलाफ एक घृणित दुष्प्रचार हुआ था, जिसमें जमात के सदस्यों को कोविड-19 फैलाने का दोषी ठहराया गया था. हालांकि इन चीजों का इस मुस्लिम समूह पर कोई असर नहीं पड़ा और आंध्र प्रदेश शहर में इस मुस्लिम धार्मिक संगठन के सदस्य किसी के धर्म को देखे बिना ही कोविड-19 पीड़ितों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कोविड-19 ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) के बैनर तले सक्रिय, तब्लीगी जमात से संबंधित 60 स्वयंसेवकों ने पिछले साल महामारी के प्रकोप के बाद से अभी तक 560 कोविड पीड़ितों के शवों का अंतिम संस्कार किया है.

वे न केवल लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, बल्कि ऐसे लोगों का भी अंतिम संस्कार सुनिश्चित कर रहे हैं, जिनके परिवारों ने संक्रमण की चपेट में आने के डर से अपनों का ही साथ छोड़ दिया. जेएसी के अध्यक्ष शैक इमाम साहब ने आईएएनएस को बताया कि वे मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ही शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. उन्होंने कहा, अगर मृतक हिंदू या ईसाई है तो हम अंतिम संस्कार करने के लिए उनके पुजारी या संबंधित व्यक्ति की सेवाओं का उपयोग करते हैं. इमाम का मानना है कि यह उन लोगों को जवाब देने का एक अवसर है जिन्होंने जमात को नफरत की निगाहों से देखा था. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता इमाम ने कहा, हम अपने प्यार, करुणा और मानवीय सेवा के साथ उनकी नफरत का जवाब दे रहे हैं. हमारा मानना है कि सर्वशक्तिमान अल्लाह ने हमें यह मौका दिया है.

उन्होंने याद किया कि कैसे दिल्ली में मंडली के बाद पिछले साल तब्लीगी जमात के खिलाफ गलत प्रचार किया गया था. इमाम ने कहा कि उन्होंने जमात के सदस्यों को आतंकवादी तक करार दिया था. आज वही जमात सदस्य कोविड पीड़ितों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. मुस्लिमों के एक समूह ने 2014 में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्य करने के लिए तिरुपति यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन का गठन किया था. पिछले साल महामारी फैलने के बाद, इसने जेएसी का गठन किया और स्थानीय अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे उन्हें मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीड़ितों का अंतिम संस्कार करने की इजाजत दें.

जेएसी शहर के उलेमा या मुस्लिम धर्मगुरुओं के मार्गदर्शन में काम करता है. मौलाना इब्राहिम हाशमी, हाफिज इशाक मोहम्मद और मौलाना जाबेर समूह के प्रमुख नेता हैं.इमाम ने कहा, जेएसी को सार्वजनिक दान के रूप में 20 लाख रुपये मिले हैं. हमने एक नई एम्बुलेंस खरीदी है. अब हमारे पास दो एम्बुलेंस हैं, जो निशुल्क सेवा दे रही हैं.

उन्होंने जेएसी को सभी प्रकार की मदद के लिए तिरुपति के विधायक करुणाकर रेड्डी को भी धन्यवाद दिया. राज्य की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता रेड्डी ने भी संगठन को कुछ मौद्रिक सहायता प्रदान की है. दो बार कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद, विधायक ने व्यक्तिगत रूप से जेएसी सदस्यों के साथ कुछ मृतकों के अंतिम संस्कार में भी भाग लिया है. जेएसी अब कोविड रोगियों को मुफ्त ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करके अपनी गतिविधियों का विस्तार करने की योजना बना रहा है.

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