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उत्तर प्रदेश

पीलीभीत: सरकारी डाकघर को बेचा, रातों-रात गिराया और मलबा तक गायब

जिले में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके बारे में सुनकर सभी के होश उड़ गये। नटवर लाल का किस्सा तो आपने सुना ही होगा जो सरकारी बड़ी इमारतों को बेच देता था लेकिन पीलीभीत के नटवर लाल असली से कही ज्यादा है।

पीलीभीत: सरकारी डाकघर को बेचा, रातों-रात गिराया और मलबा तक गायब
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पीलीभीत: जिले में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके बारे में सुनकर सभी के होश उड़ गये। नटवर लाल का किस्सा तो आपने सुना ही होगा जो सरकारी बड़ी इमारतों को बेच देता था लेकिन पीलीभीत के नटवर लाल असली से कही ज्यादा है। यहां सरकारी डाकखाने को न सिर्फ बेचा बल्कि रातों-रात पूरी बिल्डिंग गायब कर मलब भी साफ कर दिया और कब्जा कर लिया। डीएम से लेकर कप्तान सोते रहे।

अब घटना के एक साल बाद जब डीएम एसपी बदले तो 17 लोगों पर गैंगस्टर व दो लोगों को भूमाफिया घोषित किया है। डाकघर ने अपनी भूमि पर भी दूबारा कब्जा कर चारदिवारी करवा ली है। घटना पीलीभीत की सदर कोतवाली क्षेत्र के मेन बाजार की है। जब पूरा शहर सो रहा था तो भूमाफिया सरकारी डाकघर का मलबा ढो रहे थे, मानो पूरी रात पुलिस छुटटी पर थी और डीएम एसपी गायब थे। वरना डाकखाना गायब नहीं होता. दरअसल पीलीभीत में जेपी रोड पर सिटी पोस्ट ऑफिस की स्थापना 1860 में हुई थी।

तीन दशक पहले बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गयी तो डाकघर ने इस बिल्डिंग में ताला लगा दिया और शहर में दूसरी जगह डाकखाना खोल लिया। खाली पडी इस सरकारी इमारत पर भूमाफियाओं की नजर पड गयी और दिसम्बर 2018 में कुछ जालसाजों ने इस बिल्डिंग को बेच दिया।लेखपाल की रिपोर्ट से खुलासा: क्षेत्रीय लेखपाल को जब जानकारी हुई तो उसने अपनी पूरी रिर्पोट जिला प्रशासन को सौंपी। रिपोर्ट में उसने लिखा कि इस बिल्डिंग को बेचा गया है और सरकारी डाकखाने की बिल्डिंग पर अवैध कब्जा हो सकता है।

आरोप है कि उस समय किसी अधिकारी ने घ्यान नहीं दिया, क्योंकि उस वक्त के एक बड़े अधिकारी के लखनऊ में रह रहे भांजे पारसमणि पांडे व पीलीभीत की नगर पंचायत के भाजपा चेयरमैन ममता गुप्ता के बेटे शिवा गुप्ता ने यह बिल्डिंग फर्जी रूप से खरीदी थी।

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