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India Foreign Policy: 2025 में भारत की विदेश नीति- नई वैश्विक दिशा और रणनीतिक साझेदारियाँ

Modi Diplomacy 2025: भारत की विदेश नीति एक बार फिर वैश्विक मंच पर केंद्रबिंदु बन गई है। 21वीं सदी के मध्य की ओर बढ़ते हुए भारत न सिर्फ आर्थिक शक्ति बनकर उभर...

India Foreign Policy: 2025 में भारत की विदेश नीति- नई वैश्विक दिशा और रणनीतिक साझेदारियाँ
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Modi Diplomacy 2025: भारत की विदेश नीति एक बार फिर वैश्विक मंच पर केंद्रबिंदु बन गई है। 21वीं सदी के मध्य की ओर बढ़ते हुए भारत न सिर्फ आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है, बल्कि रणनीतिक, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति को नए मुकाम पर ले जा रहा है। वर्ष 2025 भारत की विदेश नीति में न सिर्फ निरंतरता का प्रतीक है, बल्कि यह परिवर्तन, अनुकूलन और नए अवसरों को साधने का भी युग है।

'भारत प्रथम' और 'वसुधैव कुटुंबकम' की नई परिभाषा

भारत ने अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को “भारत प्रथम” और “वसुधैव कुटुंबकम” के दर्शन के साथ आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारत ने वैश्विक मंचों पर एक 'विश्व बंधु' की छवि बनानी शुरू की है।

कोविड के बाद का विश्व और नई विदेश नीति की ज़रूरत

कोविड-19 की तबाही, यूक्रेन युद्ध, गाज़ा संकट और अमेरिका-चीन टकराव ने वैश्विक परिदृश्य को अस्थिर बना दिया है। ऐसे में भारत की नई विदेश नीति का उद्देश्य वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत के हितों की रक्षा करना और वैश्विक नेतृत्व में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है।

भारत-अमेरिका: सैन्य, व्यापार और अंतरिक्ष में ऐतिहासिक गठजोड़

फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया। ‘यू.एस.-इंडिया कॉम्पैक्ट’ के अंतर्गत रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अर्धचालक, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष में सहयोग को बल दिया गया। ‘मिशन 500’ के तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया गया है।

रूस के साथ बढ़ती नजदीकियां

भारत ने रूस के साथ द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है। नए कांसुलाव, वल्दाई क्लब की चर्चा और संभावित शिखर सम्मेलन से दोनों देशों के संबंध और गहराने की उम्मीद है।

पड़ोसी प्रथम नीति: पड़ोसी देशों के साथ संतुलन और सहयोग

बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, भूटान जैसे पड़ोसी देशों के साथ भारत ने रणनीतिक संयम और सहयोग का दृष्टिकोण अपनाया है। बांग्लादेश के साथ जहां सावधानी की ज़रूरत है, वहीं नेपाल के साथ ऊर्जा साझेदारी और श्रीलंका को आर्थिक राहत से संबंध प्रगाढ़ हुए हैं।

चीन से सतर्कता के साथ आगे बढ़ने की रणनीति

भारत-चीन संबंधों की जटिलता 2025 में भी बरकरार है। सीमा तनाव, ब्रह्मपुत्र बाँध, और शिगात्से में फाइटर जेट की तैनाती भारत की चिंता का कारण बनी हुई है। इसके बावजूद कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और सीधी उड़ानों की योजना के माध्यम से दोनों देश सतर्कता के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

आसियान और इंडो-पैसिफिक में सक्रिय भारत

'एक्ट ईस्ट' नीति के तहत भारत ने इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, और फिलीपींस के साथ रक्षा और व्यापारिक साझेदारी को मज़बूती दी है। ब्रह्मोस मिसाइल डील, संयुक्त नौसेनिक अभ्यास और AOIP के साथ मेल खाते दृष्टिकोण ने इस क्षेत्र में भारत की स्थिति को मज़बूत किया है।

G-20, ब्रिक्स, बिम्सटेक, SCO: भारत की बहुपक्षीय रणनीति

भारत G-20, ब्रिक्स, बिम्सटेक और SCO जैसे मंचों पर अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है। क्वाड लीडर्स समिट, भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन और ब्रिक्स समिट भारत की वैश्विक स्थिति को स्पष्ट करते हैं।

नए वर्ष की नई विदेश नीति: संभावनाएं और चुनौतियाँ साथ-साथ

2025 भारत की विदेश नीति के लिये संभावनाओं और चुनौतियों दोनों का वर्ष है। नई दिल्ली का ध्यान वैश्विक शासन प्रणाली में भारत की आवाज को सशक्त बनाना, वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व को मज़बूत करना और बहुपक्षीय सहयोग से नई साझेदारियाँ बनाना है।

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