अभी-अभी: चारा घोटाला चौथे मामले में लालू यादव को हुई इतने साल की सजा, 60 लाख का जुर्माना

दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को 7-7 साल की सजा सुनाई गई है और 30-30 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।

Update: 2018-03-24 07:27 GMT

रांची। राजद सुप्रीमो की परेशानियां और बढ़ गई हैं, चारा घोटाला के दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में आज रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को सात-सात वर्ष की सजा सुनाई गई है। साथ ही पीसी में 30 लाख और आईपीसी में 30 लाख का जुर्माना भी लगाया है। लालू प्रसाद और ओमप्रकाश दिवाकर को आइपीसी की धारा में सात वर्ष की सजा और 30 लाख रुपए जुर्माना। वही पीसी एक्ट की धारा में 7 वर्ष की सजा और 30 लाख जुर्माना लगाया गया है। ऐसे में इन दोनों को 14 वर्ष की सजा काटनी होगी। 60 लाख रूपये जुर्माना देना होगा। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने 19 दोषियों को सजा सुनाई अदालत ने सप्लायर को साढे तीन वर्ष की सजा और 15 लाख रुपए जुर्माना लगाया है। वहीं डॉक्टर व अधिकारी को पीसी एक्ट की धारा में साढे तीन वर्ष और आईपीसी की धारा में साढे तीन वर्ष कुल 7 वर्ष की सजा और जुर्माने के रुप में 15 15 लाख रुपए लगाया गया है। कुल जुर्माना 30 लाख रुपए होगा।


अदालत ने कहा है कि आइपीसी और पीसी एक्ट में सुनाई गई सजा अलग-अलग चलेगी। ऐसे में लालू की परेशानी काफी बढ़ गई है और अब उनको 14 वर्ष की सजा काटनी होगी। ऐसे ही ओपी दिवाकर के सात सात-सात वर्ष की सजा सुनाई गई है। लालू यादव समेत 19 लोगों की सजा का एलान किया गया है।  बता दें कि लालू की तबियत ठीक नहीं और वे रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं और सजा के एलान के वक्त उनकी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेशी हुई। गौरतलब हो कि लालू के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि उनकी सजा को कम किया जाए। वकील ने कोर्ट से कहा था कि लालू की उम्र 70 साल हो चुकी है और वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं। लेकिन कोर्ट ने लालू के वकील के अनुरोध को दरकिनार कर दिया। कोर्ट के अनुसार, अगर लालू जुर्माना नहीं देते हैं तो उन्हें एक साल की अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी।


विदित हो कि तत्‍कालीन बिहार (अब झारखंड) के दुमका कोषागार से करीब 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में दर्ज मुकदमा नंबर आरसी 38ए/96 में लालू प्रसाद यादव सहित कुल 31 आरोपी थे। इस मामले में सीबीआइ कोर्ट ने पांच मार्च को सुनवाई पूरी की थी। लालू यादव पर 96 फर्जी वाउचर के जरिए दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ की अवैध निकासी मामले में दोषी पाए गए हैं। ये पैसे जानवरों के खाने के सामान, दवाओं और कृषि उपकरण के वितरण के नाम पर निकाले गए थे। उस दौरान पैसे के आवंटन की सीमा अधिकतम एक लाख 50 हजार ही थी। जब यह निकासी हुई थी लालू उस समय मुख्यमंत्री थे। लालू यादव अब तक चारा घोटाला में तीन मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं। लालू को चाईबासा कोषागार के दो मामलों मामले में पांच-पांच साल तथा देवघर कोषागार मामले में साढ़े तीन साल की सजा मिल चुकी है।


इसके साथ ही दुमका कोषागार में घोटाला मामले में लालू दोषी करार दिए जा चुके थे। डोरंडा कोषागार से जुड़ा चारा घोटाले का पांचवा मामला सबसे बड़ा है, जिसमें करीब 139.35 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप है। इसके अलावा लालू भागलपुर के एक और मामले में आरोपित हैं। फिलहाल लालू प्रसाद रांची के होटवार सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चारा घोटाला में लगातार तेज सुनवाई हो रही है। इसी का नतीजा है कि चारा घोटाला के मामलों में एक के बाद एक लगाातर फैसले आ रहे हैं।

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