आसिफा गैंगरेप: फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले 'दैनिक जागरण' का शुरू हुआ बहिष्कार, जगह जगह जलाया गया अखबार

Update: 2018-04-23 06:18 GMT

देश का सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अख़बार दैनिक जागरण ने कठुआ बलात्कार केस में बलात्कार शब्द ही हटा दिया। 20 अप्रैल, 2018 गुरुवार को दैनिक जागरण के फ्रंट पेज खबर की हेडिंग दी जिसमें लिखा था कठुआ की बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म, सवालों के घेरे में चार्जशीट" इस खबर को पढ़ते ही लोगों ने दैनिक जागरण से किनारा करना शुरू किया क्योकिं FSL के एक सीनियर अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जांच में बलात्कार की बात पुख्ता हुई है। लैब के मुताबिक जो सबूत मिले हैं, उनसे तय है कि बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था। लैब ने ये भी बताया कि पुलिस ने जांच के लिए जो सैंपल भेजे थे, वो आरोपियों के डीएनए से मेल खाते हैं। अधिकारी के मुताबिक, 3 अप्रैल को ये जांच रिपोर्ट जम्मू-कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच के हवाले कर दी गई थी।



सोशल मीडिया पर लोगों ने इस दैनिक जागरण का विरोध करना शुरू कर दिया राज पाठक नाम के यूज़र ने लिखा- कोई एक्शन लिया जायेगा दैनिक जागरण के झूठ पर? दीपंकर पटेल ने लिखा आम लोगों को चाहिए कि कठुआ रेप मामले दैनिक जागरण ने जो किया है , उसके विरोध में कल इस अखबार को जलाएं।तभी ये अखबार प्रोपैगैंडा फैलाने से डरेंगे। कोर्ट और जांच एजेंसी से भी बड़ा बन रहा है जागरण।

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प्रियांशु ने दैनिक जागरण पर कटाक्ष करते हुए लिखा- साहेब पूछते हैं- नामुराद, कठुआ रेप को फर्जी बताने वाली खबर किससे पूछकर हटाई?Dainik Jagran- माफी हुजूर, फॉरेंसिक रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हो चुकी है। सिकुलर सुबह से हल्ला मचा रहे थे। सब तरफ थू-थू हो रही थी। तथ्य पूरे नहीं थे। साहेब गुस्से में- जादा होशियार न बनो। तुम सिकुलरों के हल्ला से कब डरने लगे? और हां! इ तथ्यों का गणित हमें न पढ़ाओ। समझे। जानते हैं, तुम्हें इसकी कितनी परवाह है। भद्द पिटवाना बंद करो। वापस चिपकाओ खबर, फौरन। Dainik Jagran- हुजूर, माई-बाप, रहम। केस हो जाएगा। का दलील देंगे? अपनी बिटिया को मू दिखा सकें, इस लायक तो छोड़ दीजिए। बहिष्कार होगा तब? अखबार में तो छाप ही दिए हैं। काम तो हो ही गया लगभग। रहम हुकुम रहम। साहेब चिढ़ते हुए- दिमाग खराब मत कर।

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Zee News वालों ने तो DNA को विड्रॉ नहीं किया। उनका विश्लेषण कौन बड़ा तथ्यों पर था? देखो, घबराओ मत। कितने का केस होगा? लाख, दो लाख, 10 लाख, 50 लाख? मैनेज कर लेंगे। कोर्ट का आदेश न हुआ तो मानना ही मत। गौहर रजा के केस में ZEE वालों ने NBSA का आदेश नहीं माना। क्या बिगाड़ लिए? तुम भी मत मानना। फोन रख रहा हूं। उम्मीद है, दोबारा न करना पड़े।इन सबमें एक और बात हैरान करने वाली है कि इतने विरोध के बाद भी, सच्चाई सामने आने के बाद भी , दैनिक जागरण ने अभी भी इस ख़बर को अपनी वेबसाइट पर लगा रखा है और लोगों को गुमराह करने में लगा हुआ है।

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