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लालू का खुलासा: 1000 करोड़ का सृजन घोटाला करने वाले सुशील मोदी, नीतीश भेजें जेल:जानिए क्या है घोटाला?

लालू का खुलासा: 1000 करोड़ का सृजन घोटाला करने वाले सुशील मोदी, नीतीश भेजें जेल:जानिए क्या है घोटाला?
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पटना। बिहार के भागलपुर का सृजन एनजीओ घोटाला 300 से बढ़कर अब 700 करोड़ तक जा पहुंचा है. जैसा कि जेडीयू प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने शनिवार को पहले ही इसे 1000 करोड़ रूपये का घोटाला बताया था, अब जांच में धीरे धीरे उनका दावा सच होता दिख रहा है. इस घोटाले के पीछे बिहार के नये उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर आरोप लगाते हुए लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनका इस्तीफा लेकर उन्हें जेल भेजने को कहा है और साथ ही घोटाले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की है. वहीं नीतीश सरकार में हजारों करोड़ का सृजन महिला घोटाला उजागर होने के बाद नई सरकार के नए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की हालत इतनी बिगड़ गई कि घर पर 4-4 डॉक्टर्स की तैनाती करनी पड़ी.


लालू इन तथ्यों के बल पर सुशील मोदी को भेजना चाहते हैं जेल

लालू यादव ने आरोप लगाया कि इस गैर सरकारी संगठन 'सृजन' से कई बीजेपी नेताओं के घनिष्ठ संबंध रहे हैं. उन्होंने शाहनवाज हुसैन और गिरिराज सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन बीजेपी नेताओं के एनजीओ की संस्थापक मनोरमा देवी से संबंध थे. इसके साथ ही इस घोटाले के पीछे नीतीश और मोदी की मिलीभगत बताया है. मनोरमा देवी की इसी अप्रैल में मृत्यु हो गई. इन दोनों नेताओं की मनोरमा देवी के साथ फोटोग्राफ भी सामने आए हैं. इसके अलावा लालू ने कहा कि 'जब पशुपालन घोटाला में मुझ पर इस आधार पर मुकदमा चला कि उन दिनों मैं वित्त विभाग का प्रभारी मंत्री था और मैं राजकोष से निकासी रोक पाने में कथित रूप से असफल रहा तो ऐसी स्थिति में सुशील पर भी इस विफलता के लिए मुकदमा चलना चाहिए.' हालांकि राजद नेता ने अपने दावे के समर्थन में मनोरमा देवी के साथ बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन और गिरिराज सिंह के साथ फोटो के अलावा अभी तक कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया है.


बीजेपी की ओर से सफाई

बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सफाई देते हुए कहा था कि वह मनोरमा देवी को जानते थे लेकिन किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं थी.


क्या है पूरा मामला

बिहार के भागलपुर में साल 2005 में बने ''सृजन महिला सहयोग समिति'' गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) के खातों में शहरी विकास के लिए भेजी गई करोड़ों की राशि बैंक अफसरों, डीएम और सरकारी विभाग की मिली भगत से पहुंचाई गई. साल 2005 में बिहार में नितीश कुमार की एनडीए सरकार थी और उस वक्त सुशील मोदी के पास वित्त मंत्रालय था. लालू यादव ने साल 2005 से 2016 के बीच भारी रकम की निकासी की बात कही है साथ ही अब तक 1000 करोड़ रूपयों की फेराफेरी का भी दावा किया है. ईओयू की शुरूआती जांच में पहले 300 करोड़ का घोटाला सामने आया था लेकिन अब यह राशि बढ़ कर 700 करोड़ रूपये तक पहुंच चुकी है. इस मामले में पुलिस ने बैंक क्लर्क और बाकी छोटे अफसरों समेत करीब सात लोगों को हिरासत में लिया है.


मामले का खुलासा एनजीओ की प्रमुख मनोरमा देवी के देहांत के बाद हुआ जब बैंक में उनके नाम से जाने वाला चेक बाउंस होना शुरू हुआ. इसके बाद ही जांच में मामला सामने आया. इस मामले की प्राथमिक जांच से उजागर हुआ है कि मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए सरकारी बैंकों में पैसा जमा हुआ जोकि गैर-सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में ट्रांसफर हो गया. यह संगठन वास्तव में उत्तरी बिहार के भागलपुर में स्थित है. यह जिले के विभिन्न ब्लॉक में महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराता है. यह महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराता है.


पुलिस के मुताबिक यह एनजीओ एक को-ऑपरेटिव बैंक भी चलाता था और आरबीआई से बैंक के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था. इस मामले में गत गुरुवार को सृजन महिला सहयोग समिति के पदाधिकारियों, बैंक के पदाधिकारी, सरकारी कर्मी (जो खाते एवं उसके दस्तावेज की देख-रेख करता था), पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. अब तक कुल मिलाकर इस केस में पांच केस दर्ज हो चुके हैं. इस घोटाले के तार अन्य जिलों तक पहुंचने की आशंका के मद्देनजर राज्य सरकार ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को बैंकों में जमा सरकारी धन की पड़ताल करने को कहा है.

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