अफवाह से दंगे भड़कते हैं, फेक न्यूज़ से अब युद्ध हुआ करेंगे?
मीडिया के लिए आधिकारिक चुप्पी और राजनीतिक बयानबाजी ही 'ख़बर की सच्चाई' का आधार हो गयी। मीडिया ने ख़बर के सत्यापन की बुनियादी आवश्यकता तक को भुला दिया।
BY Prem Kumar20 Nov 2020 4:10 PM GMT
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Prem Kumar21 Nov 2020 4:20 AM GMT
मीडिया के लिए आधिकारिक चुप्पी और राजनीतिक बयानबाजी ही 'ख़बर की सच्चाई' का आधार हो गयी। मीडिया ने ख़बर के सत्यापन की बुनियादी आवश्यकता तक को भुला दिया।
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