लज़ीज़ खाने के शौकीन थे अटल, अमेरिका में डाईनिंग टेबल पर बीफ देखकर कहा था, ये अमेरिका की गायें हैं, इंडिया की नहीं
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न नेता अटल बिहारी वाजेपयी ने गुरूवार को 5 बजकर 5 मिनट पर दिल्ली एम्स हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली है,जिसकी खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी है,
BY Jan Shakti Bureau17 Aug 2018 11:52 AM IST

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Jan Shakti Bureau2 Aug 2025 12:58 AM IST
नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न नेता अटल बिहारी वाजेपयी ने गुरूवार को 5 बजकर 5 मिनट पर दिल्ली एम्स हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली है,जिसकी खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी है,लाखों की संख्या में उनके चाहने वालों गहरा सदमा पहुंचा है। अटल बिहारी लम्बे समय तक भारत की सक्रिय राजननीति का हिस्सा रहे हैं,अपने बेबाक और निडरता के साथ लिये जाने वाले फैसलों के लिये उन्हें पहचाना जाता रहा है,विदेश में उन्होंने भारत का दमदार प्रतिनिधित्व किया है।
अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक अच्छे कवि ही नहीं, दमदार वक्ता भी रहे हैं। कई मौकों पर उन्होंने अपनी हाजिरजवाबी का परिचय दिया। इससे जुड़े कई किस्सों का जिक्र उनकी जीवनी 'हार नहीं मानूंगा' में लेखक और पत्रकार विजय त्रिवेदी ने किया है। इन्हीं में से एक किस्सा, जब अमेरिका के दौरे पर एक शाम जब खाने की मेज पर उनके सामने बीफ परोसा गया।
अमेरिका में खाया था बीफ
अमेरिका गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में अटल वाजपेयी के साथ कांग्रेस नेता मुकुल बनर्जी भी थीं। सरकारी भोज के दौरान गोमांस भी परोसा जा रहा था। तभी बगल में बैठीं बनर्जी ने वाजपेयी जी का ध्यान उस ओर दिलाया तो उन्होंने फौरन कहा- ये गायें इंडिया की नहीं, अमेरिका की हैं। अटल बिहारी वाजपेयी अच्छा खाने-पीने का शौक़ीन थे. वे कभी नहीं छिपाते थे कि वह मछली-मांस चाव से खाते हैं. शाकाहार को लेकर जरा भी हठधर्मी या कट्टरपंथी नहीं थे. साउथ दिल्ली में ग्रेटर कैलाश-2 में उनका प्रिय चीनी रेस्तरां था जहां वह प्रधानमंत्री बनने से पहले अकसर दिख जाते थे. पुराने भोपाल में मदीना के मालिक बड़े मियां फ़ख्र से बताते थे कि वह वाजपेयी जी का पसंदीदा मुर्ग़ मुसल्लम पैक करवा कर दिल्ली पहुंचवाया करते थे.
इसी जीवनी में वाजपेयी जी के खाने-पीने के शौक का जिक्र भी किया गया है। आपातकाल के दौरान वह बेंगलुरु जेल में बंद थे। स्वास्थ्य कारणों से उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया। एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी उस वक्त वाजपेयी जी के बगल वाले कमरे में भर्ती थे। एम्स में इलाजरत वाजपेयी ने डीपी त्रिपाठी को बुलाया और पूछा, 'शाम के लिए क्या व्यवस्था है?' इसके बाद त्रिपाठी जी ने पास के फोन बूथ से एक परिचित को फोन किया और सारा बंदोबस्त करा लिया। शाम को दोनों ने अस्पताल में ही बैठक जमा ली। अटल बिहारी के दुनिया से चले जाने से देश वासियों को गहरा सदमा पहुँचा है जिसके चलते हर तरफ से उनको श्रद्धांजलि अर्पित की जारही है।
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