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मोदी सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार, कर रही है ये मांग

पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र के कोरोना टीकाकरण नीति को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। ममता बनर्जी सरकार ने शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत से कहा है कि टीकाकरण की नीति एक समान होनी चाहिए और अभी जो अलग-अलग तरह की कीमतों का निर्धारण किया गया है, उसे निश्चित तौर पर खत्म किया जाना चाहिए।

मोदी सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार, कर रही है ये मांग
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नई दिल्ली, 7 मई: पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र के कोरोना टीकाकरण नीति को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। ममता बनर्जी सरकार ने शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत से कहा है कि टीकाकरण की नीति एक समान होनी चाहिए और अभी जो अलग-अलग तरह की कीमतों का निर्धारण किया गया है, उसे निश्चित तौर पर खत्म किया जाना चाहिए। ममता सरकार का कहना है कि केंद्र यह तत्काल सुनिश्चित करे कि वैक्सीन उपलब्ध हो और राज्यों को वह मुफ्त में दी जाए। इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की उम्मीद है। बता दें कि चुनाव के समय से ही ममता वैक्सीनेशन का खर्चा केंद्र की ओर से उठाए जाने की मांग कर रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में अगले सोमवार को होने वाली सुनवाई होने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जो एफिडेविट दाखिल किया गया है, उसमें कहा गया है, 'वैक्सीन की कीमतों को लेकर राज्य कीमतों को लेकर निजी तौर पर मोलभाव नहीं कर सकते। राज्यों को धन आवंटित करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिससे पहले से ही दबाव झेल रही स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर बुरा असर पड़ेगा।....राज्यों को निश्चित तौर पर मुफ्त में वैक्सीन दी जानी चाहिए।'

गौरतलब है कि नई सरकार के गठन के कुछ ही समय बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध करवाने की अपनी पुरानी मांग दोहराई थी। उन्होंने लिखा है, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगी कि सबको मुफ्त में वैक्सीन मिले। आपको याद होगा कि 24 फरवरी, 2021 को लिखी चिट्ठी में भी मैंने आपसे अनुरोध किया था कि पश्चिम बंगाल सरकार को निर्धारित जगहों से राज्य के लोगों के लिए मुफ्त में वैक्सीन हासिल करने की इजाजत दें। इसपर ध्यान नहीं दिया गया।' ममता ने चुनाव अभियान के दौरान भी सबको मुफ्त वैक्सीन देने की मांग उठाई थी। इससे पहले पिछले महीने उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था, 'सभी भारतीयों को उम्र, जाति, वंश, स्थान में भेद के बिना मुफ्त वैक्सीन की आवश्यकता है। भारत सरकार कोविड वैक्सीन की एक कीमत निश्चित करे, चाहे उसका भुगतान केंद्र या राज्य कोई भी करे।' उन्होंने भाजपा पर तंज भी कसा था, 'बीजेपी एक राष्ट्र, एक पार्टी, एक नेता का हमेशा हल्ला करती है, लेकिन जिंदगी बचाने के लिए वैक्सीन की एक कीमत नहीं कर सकती।'

पिछले महीने तक केंद्र देश में वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों कोविशील्ड की निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और कोवैक्सिन बनाने वाली भारत बायोटेक से टीके खरीदकर राज्यों को मुफ्त में उपलब्ध करवाता था। अब ये कंपनियां आधी वैक्सीन केंद्र को सप्लाई करेंगी और आधी राज्यों और निजी अस्पतालों को सीधे बेचेंगी। पहले एसआईआई ने कोविशील्ड की कीमत केंद्र के लिए 150 और राज्यों के लिए 400 तय की थी। इसी तरह भारत बायोटेक केंद्र के लिए कोवैक्सिन की एक डोज की कीमत 150 रुपये और राज्यों के लिए 600 रुपये तय की थी। लेकिन, विवाद होने के बाद कोविशील्ड की कीमत 300 रुपये और कोवैक्सीन की 400 रुपये कर दी गई। लेकिन, कई राज्य सरकार इसपर एक पैसे भी नहीं खर्च करना चाह रहे हैं।

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