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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार करेगी अखिलेश के इस फैसले की समीक्षा

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लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक और बड़े फैसले पर योगी आदित्यनाथ ने जांच बैठा दी है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सबसे बड़े सम्मान यश भारती की जांच के आदेश दे दिए हैं। यश भारती सम्मान की शुरुआत 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने की थी, इसके तहत उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले ऐसे लोगों को सम्मानित किया जाता है जो संस्कृति, साहित्य और खेलकूद में अपना विशेष योगदान देते हैं।


मायावती ने रोक लगा दी थी

यश भारती सम्मान की शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने की थी लेकिन मायावती ने इस पुरस्कार के वितरण पर रोक लगा दी थी, लेकिन 2012 में सत्ता में वापस लौटने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर से इस सम्मान को देना शुरु किया था। लेकिन इस सम्मान समारोह पर सवाल तब खड़े हो गए जब अखिलेश यादव ने इस सम्मान को गरीबों की आर्थिक मदद के लिए भी देना शुरु कर दिया।


सपा कार्यकर्ता को दिया सम्मान

सम्मानअखिलेश यादव ने लोकभवन के सभागार में पुरस्कार समारोह का संचालन करने वाली महिला को खुश होकर यश भारती सम्मान देने का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद इस पुरस्कार के वितरण पर काफी विवाद उठा था। अखिलेश यादव ने सपा कार्यालय में काम करने वाले दो कर्मचारियों को भी पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए यह सम्मान दिया था, लेकिन इनका पत्रकारिता से कोई भी लेना-देना नहीं था।

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कई हस्तियां पा चुकी हैं यह सम्मान

यश भारती सम्मान पाने वालों 11 लाख रुपए की इनामी राशि दी जाति है, इसके बाद उन्हें जिंदगीभर 50 हजार रुपए की मासिक पेंशन दी जाती है। इस पुरस्कार को पाने वालों में बड़ी नामचीन हस्तियां भी शामिल हैं, जिसमें मुख्य रूप से अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, हरिवंश राजय बच्चन, जया बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, शुभा मुद्गल, रेखा भारद्वाज, अरुणिमा सिन्हा, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नसीरूद्दीन शाह, भुवनेश्वर कुमार, रवींद्र जैन, कैलाश खेर, रीता गांगुली जैसी हस्तियां शामिल

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